मधेपुरा जिले के शंकरपुर प्रखंड क्षेत्र के बेहरारी पंचायत के पंचायत भवन में
संचालित वेटरनरी हॉस्पीटल केवल नाम का बना हुआ है.
मालूम हो कि यह अस्पताल शंकरपुर
प्रखंड का इकलौता पशु अस्पताल है, जो पालतू पशुओं की चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराने हेतु
प्रशासनिक स्तर पर पूरे प्रखंड की सुविधाओं को देखते हुए यह पशु चिकित्सालय
स्थापित किया गया था.
इसमें मवेशियों के इलाज के साथ-साथ मुफ्त दवाई भी उपलब्ध कराया जाना था, लेकिन
विभागीय उदासीन रवैया के कारण पशु चिकित्सा सेवा सिर्फ कागजों पर ही खानापूर्ति की
जा रही है. इस अस्पताल की हास्यास्पद बात यह कि जिसमें कभी इलाज ही नहीं होता है.
वहां अस्पताल खुलने के दिन भी निधारित किये जाते हैं, अर्थात कब अस्पताल खुलती है
और कब बंद होती है. प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सा केन्द्र खुलने का दिन मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को
निधारित कर केन्द्र पर साटा हुआ है लेकिन पशु चिकित्सालय कभी खुलना तो दूर प्रखंड
क्षेत्र के पशु पालकों को इसकी जानकारी भी नहीं है कि उनके गाँव में कोई पशु
चिकित्सालय भी है. जिस वजह से इस इलाके के पशु बीमार के बीमार होने पर उसे झोलाछाप
डाक्टरों से इलाज करवाया जाता है. ऐसे में झोलाछाप डाक्टर मवेशी पालकों से मनचाही रकम
वसूलते हैं. फिर भी उनलोगों से तत्काल बीमारी की पहचान भी नही हो पाती है जिसकी
वजह से पशुओं की मौत हो जाया करती है.
शंकरपुर प्रखंड क्षेत्र में पशु चिकित्सालय होते हुए भी पालतू पशुओं की किसी
तरह का उपचार नही होने से क्षेत्र के पशुपालक नन्देलाल यादव, संजीव कुमार, रिंकू कुमार, शुभंकरण यादव, अशोक
कुमार सहित सैकड़ों पशुपालको ने बताया कि इस इलाके के लोग कृषि और पशु पर ही निर्भर
करते हैं. यहाँ के लोग काफी संख्या में पशु पालते हैं लेकिन सरकारी अस्पताल रहते
हुए भी झोलाछाप डाक्टरों से पशु का इलाज कराना इन लोगों को नियति बन गई है. स्थानीय
लोगों का कहना है कि झोलाछाप डाक्टर रुपया भी ज्यादा लेते हैं और मवेशी का इलाज भी
सही से नहीं हो पाता है. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से ससमय अस्पताल खुलवाने की
मांग की है ताकि सही समय पर उनलोगों की पशुओं का सही से इलाज हो सके.
कुछ महीने पहले जिला पदाधिकारी मो सौहेल ने मवेशियों में होने वाली बीमारियों
को लेकर रोक व सही समय पर उपचार हेतु सभी डाक्टरों को अपने अपने केन्द्रों में
तैनात रहने का निर्देश भी दिया था, लेकिन शंकरपुर प्रखंड क्षेत्र में पदस्थापित
प्रखंड भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी डाक्टर श्वेता रानी एक दिन भी किसी गांव
जाने को उचित नही समझी. उनसे पूछने पर उन्होंने बताया कि वे सिहेश्वर में पोस्टेड
हैं और उन्हें बेहरारी का अतिरिक्त प्रभार मिला हुआ है. जहाँ सप्ताह में उनका
मात्र तीन दिन ही डयूटी है. उन्होंने यह भी कही कि वहाँ हॉस्पीटल नहीं होने के
कारण बैठने तक की भी जगह नहीं है इसलिए समय नहीं दे पाते हैं.
काम का नहीं, सिर्फ नाम का है पशु अस्पताल, झोलाछाप वसूलते हैं मनमानी रकम
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 16, 2017
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