मधेपुरा शहर की मुख्य सड़कों पर पर बाइक
की रेस ड्राइव और विभिन्न तरह के हार्न से आम जनजीवन ख़ासा परेशान है.
रेस ड्राइव और ऐसे बाइक में लगे
हार्न का इस्तेमाल करने वाले बाइक चालकों पर न तो परिवहन विभाग और न ही पुलिस प्रशासन ही अंकुश
लगने के लिए कोई कदम उठा रही है. ऐसे में कहा जा सकता है कि
प्रशासन किसी बड़े हादसे के इन्तजार मे है ?
मधेपुरा शहर में एक ओर भीड़ तो दूसरी ओर सड़क के किनारे सब्जी और फल दूकानदारों ने इस कदर अतिक्रमण कर रखा है कि लोगो को पांव पैदल चलना मुश्किल हो रहा है. इस बीच भीड़ में नाबालिग बिगडैल बच्चे और युवा भीड़ भरे सड़क पर बेलगाम बाइक रेस ड्राइव कर हों तो लोगों की परेशानी खुद अंदाजा लगा सकते है ऐसे मानसिक रूप से बीमार नाबालिग और युवाओं को इस तरह ड्राइव करने का खमियाजा भले ही पता न हो लेकिन बाइक की स्पीड देखकर सड़क पर चल रहे राहगीरों की अपनी जान बचाने और बाइक चालक की जिन्दगी के बारे में सोच कर उनके दिल की घड़कन बढ़ जाती है । ऐसे रेस ड्राइव करने वाले एक दो नहीं, सैकड़ो हैं जिसका सामना प्रति दिन पुलिस से होता रहता है, लेकिन विवश पुलिस उसे रोकने में अक्षम हो रही है.
एक पुलिस पदाधिकारी
ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पुलिस की आंखो के सामने और उनके कानों मे ऐसी आवाज गूंजती है लेकिन वे विवश हैं. जब भी पुलिस इसे रोकने की कोशिश की, मामला थाना पहुंचे ही बड़े लोगों के फोन आने लगते हैं । अक्सर ऐसे युवक के अभिभावक बच्चे को समझाने की बजाय
पुलिस से हुई उलझ जाते हैं । अक्सर शहर मे रेस ड्राइव से दुर्घटना
होती है. मामला पुलिस के
संज्ञान
मे भी आता है, लेकिन पुलिस के द्वारा ऐसी घटना को रोकने की दिशा में कोई कार्रवाई करने
की बजाय कथित ‘मैनेज’
कर मामले को रफादफा कर देने की परिपाटी यहाँ चल रही है. इतना ही नहीं, बात बढ़ने पर दुर्घटना के शिकार पीड़ित का इलाज और क्षति की भरपाई भी आरोपी कर देते हैं।
जबकि शहर मे गाड़ी चलाने की गति निर्धारित है, लेकिन उसका पालन नहीं हो रहा है। ऐसा
ही एक मामला बुधवार को हुआ जब एक रेस ड्राइव वाइक की चपेट मे एक साइकिल सवार
युवक के आने पर रेस ड्राइव करने वाला चालक बाइक छोड़कर भाग निकला. पुलिस को सूचना मिलने पर पुलिस ने तत्काल घटना स्थल पर पहुंच कर बाइक को अपने
कब्जे मे ले लिया । बाइक चालक कौन था उस पर क्या
कार्रवाई हुई पता नहीं चल सका । सूत्र बताते हैं कि मामला रफा दफा हो गया । जबकि बताते
हैं कि नये परिवहन कानून मे
नाबालिग द्वारा सड़क
दुर्घटना को अंजाम देने पर उसके माता पिता
से 25 हजार रूपये का जुर्माना वसूलने का प्रावधान
आया है । लेकिन नाबालिग के बाइक चलाने पर रोक पर उनके अभिभावक पहल नही कर रहे, बल्कि कई तो मानो इसे शान की बात समझते
हैं.
आम लोग परेशान
हैं व खतरा महसूस कर रहे हैं और पुलिस व जिला प्रशासन से रेस ड्राइव और नाबालिक द्वारा गाड़ी चलाने पर अविलम्ब रोक लगाने की
मांग कर रहे हैं ।
मधेपुरा में रेस ड्राइव पर नहीं लगी रोक तो कभी हो सकता बड़ा हादसा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 26, 2017
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