बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय में शुक्रवार को सभी सेवानिवृत्त शिक्षकों एवं
शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के लिए पहली बार पेंशन अदालत का आयोजन किया गया। अदालत
में कुल 253 मामले आए थे।
इनमें से कुल 160 मामलों पर सुनवाई हुई। विशेषकर पेंशन बकाये के प्रायः
सभी मामलों पर विचार करते हुए भुगतान का
आदेश प्रदान किया गया। कुलपति ने कहा कि आगे प्रत्येक माह पेंशन अदालत आयोजित होगी
। अगली अदालत में सभी पेंशन बकायेदारो को चेक प्रदान किया जाएगा। अन्य सभी मामलों
के भी त्वरित निष्पादन के निर्देश दिये गये।
कुलपति प्रोफेसर डॉ. अवध किशोर राय ने बताया कि सेवानिवृत्त कर्मियों की
समस्याओं का समाधान उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसके लिए वे दिनरात काम कर रहे हैं। उन्होंने इन मामलों
कॊ तीन चरणों में बांटा है। सर्वप्रथम वर्ष 2000 तक, दूसरा 2001-2007
तक और फिर 2008
से अब तक। बीमारी, लड़की की शादी आदि से संबंधित मामलों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि वे अपने स्तर से पेंशन हेतु राशि की व्यवस्था कर रहे हैं। साथ
ही सरकार से भी आवश्यक राशि की मांग की गयी है। यदि सब कुछ सामान्य रहा तो मार्च 2018 तक सभी बकाया पेंशन का भुगतान कर दिया जाएगा।
आवेदन देने वाले सभी शिक्षक एवं कर्मी, जिनके पेंशन की अब तक स्वीकृति नहीं मिली थी,
अथवा कोई अन्य परेशानी थी, उनकी समस्याओं का समाधान किया गया। विश्वविद्यालय में पहली
बार आयोजित इस कार्यक्रम में तीन सौ से अधिक लोग उपस्थित हुए।
कुलपति प्रोफेसर डॉ. अवध किशोर राय ने 29 मई दिवस को पदभार ग्रहण करने के बाद सेवानिवृत्त कर्मियों
की समस्याओं के समाधान को प्राथमिकता देने का भरोसा दिया था । इससे सेवानिवृत
कर्मियों में विश्वास एवं भरोसा जगा। फिर
कुलपति ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में भी सेवानिवृत्त शिक्षकों एवं
कर्मचारियों की समस्याओं के अविलंब समाधान की घोषणा की थी । पेंशन अदालत के पहले कुलपति ने अपने 108 दिनों के कार्यकाल में सवा सौ लोगों को पेंशन एवं अन्य
सेवान्त लाभ का भुगतान किया था।
इस अवसर पर प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉ. फारूक अली,
वित्त परामर्शी सी.आर. डिगवाल,
वित्त पदाधिकारी हरिकेश नारायण सिंह, डॉ. एम. एस. पाठक, राजेश
कुमार सिंह, अभिनन्दन
चौधरी,
विश्वनाथ साह, अवनीत कुमार, वैभव कुमार आदि वित्त विभाग के कर्मी और अधिकारी उपस्थित थे ।
इस पहली पेंशन अदालत में आए तीन सौ से अधिक पेंशनर कुलपति प्रोफेसर डॉ. अवध
किशोर राय के कायल हो गये। उनके 'आॅन द स्पॉट' समाधान करने की कार्यशैली और हाजिरजवाबी लोगों को खूब पसंद आई। कुलपति ने कहा कि जितना
भी वाजिब बकाया है, उसका भुगतान होगा। साथ ही यह भी बता दिया कि वे किसी को भी गैरवाजिब भुगतान
नहीं करेंगे। उन्होंने पेंशनरों का आह्वान किया कि वे उन्हें सेवा का अवसर दें।
धैर्यपूर्वक उन्हें कुछ समय दें।
उन्होंने पेंशनरों से कहा कि यह विश्वविद्यालय उनकी बहुमूल्य सेवाओं के लिए उनका आभारी है। वे चाहते हैं कि
किसी भी पेंशनर को बेवजह कोर्ट-कचहरी का चक्कर नहीं लगाना पड़े। जो लोग किसी भी
कारणवश अदालतों की शरण में गये हैं, वे भी
विश्वविद्यालय प्रशासन से वार्ता करें। वे उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे।
विश्वविद्यालय प्रशासन नहीं चाहता है कि अदालती भागदौड़ की वजह से किसी भी पेंशनर
के समय एवं पैसे का नुकसान है ।
कुलपति व प्रति कुलपति और संबंधित अधिकारी व कर्मी पेंशन अदालत में बिना भोजन
किये ही पूर्वाह्न ग्यारह से अपराह्न चार बजे तक पेंशन अदालत में डटे रहे।
BNMU: विश्वविद्यालय में लगी पेंशन अदालत, 160 मामले निष्पादित
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 15, 2017
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