इस वर्ष महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह के 100 साल पूरे हो रहे हैं. 15 अप्रैल 1917 को ही मोहन दास करमचंद गांधी ट्रेन से चंपारण पहुंचे थे और
अंग्रेजों के खिलाफ सत्याग्रह का ऐलान किया था।
चंपारण से ही मोहनदास करमचंद गांधी
का ‘महात्मा’ गांधी बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ था।
भारत माता को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराने के लिए कई आन्दोलन हुए।
जिसमें सत्याग्रह आन्दोलन का अपना एक विशेष महत्व है। “सत्याग्रह’ का मूल अर्थ है ‘सत्य’ के प्रति ‘आग्रह’, ये दोनो ही शब्द संस्कृत भाषा के शब्द हैं।
भारत में गाँधी जी के नेतृत्व में सत्याग्रह आन्दोलन के अंर्तगत अनेक
कार्यक्रम चलाए गये थे। जिनमें प्रमुख है, चंपारण सत्याग्रह, बारदोली सत्याग्रह और खेड़ा सत्याग्रह। ये सभी आन्दोलन भारत
की आजादी के प्रति महात्मा गाँधी के योगदान को परिलक्षित करते हैं। गाँधी जी ने
कहा था कि, ये
एक ऐसा आंदोलन है जो पूरी तरह सच्चाई पर कायम है और हिंसा का इसमें कोई स्थान नही
है।
मुरलीगंज के पी महाविद्यालय के प्रांगण में चंपारण सत्याग्रह के सौ साल पूरे
होने पर जागरूकता यात्रा पहुंचे जत्थे ने आंदोलन के प्रणेता महात्मा गांधी को याद
किया गया। गांधी जी के आदर्शों एवं
विचारों को अपनाकर वे महात्मा गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं। चंपारण
सत्याग्रह को 100 साल
पूरे होने पर केंद्र सरकार राज्य सरकार स्वयंसेवी संगठन, संस्थाएं, बुद्धिजीवी,
राजनीतिक, सामाजिक कार्यकर्ता एवं जागरूक नागरिक इसे सफल बनाने में लगे हुए हैं । सबको
शिक्षा के संवैधानिक प्रावधान के बावजूद आज सही तरीके से जन जन तक शिक्षा नहीं पहुंच पा रही है।
कार्यक्रम की जानकारी देते हुए शाहिद
कलाम ने कहा कि यह कार्यक्रम 5 सितंबर से प्रारंभ होकर 24 सितंबर तक उत्तर बिहार के सभी जिलों के लोगों से रूबरू होकर
यात्रा के उद्देश्य को जन जन तक
पहुंचाने लिए यात्रा की गई है. राष्ट्रीय
सेवा संघ एवं समान धर्म संगठन स्वयंसेवक फाउंडेशन स्वराज्य अभियान सोशलिस्ट पार्टी
ऑफ अभियान सोशलिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया राष्ट्रीय किसान समागम चंपारण सत्याग्रह जिला
संघर्ष समिति इत्यादि के साथी एवं वरिष्ठ साथियों के सहयोग से यह यात्रा आरंभ की
गई है। इस यात्रा में 5 विषयों पर युवाओं के बीच पर युवाओं के बीच विशेष चर्चा होगी, जिसमें चंपारण
सत्याग्रह का आजादी की लड़ाई में क्या योगदान रहा, दूसरा किसान और किसानी समस्या, तीसरा
बिहार में शिक्षा की स्थिति, चौथा राष्ट्रीय एकता पर खतरा तथा संविधान के बुनियादी
सिद्धांतों की व्याख्या है.
कल के इस कार्यक्रम में के पी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ महेंद्र खिरहरी, डा सुशीला शर्मा डॉ जनार्दन
प्रसाद यादव, अरविंद्र लाल दास, मानवेंद्र कुमार, महेंद्र मंडल, रमन सिंह, राजेश
कुमार, अभिषेक कुमार, डॉ मुकुल कुमार, डॉ
देवनारायण साह, डॉ जय नंदन यादव, रुपेश कुमार, जितेंद्र साह, वीरेंद्र
कुमार भारतीय, मोहम्मद जब्बार, विष्णुदेव ठाकुर, साक्षर भारत मिशन मुरलीगंज के प्रभात
कुमार, नंदलाल, राष्ट्रीय सेवा दल, तनवीर आलम अध्यक्ष अलीगढ़ मुस्लिम
विश्वविद्यालय आदि मौजूद थे. सबों ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए और आज के
परिपेक्ष में समस्याओं को जनमानस के सामने
लाने की बात की.
इस मौके पर देश की ताजा हालात पर एक
कविता गाकर नंदलाल और दिव्यांशी सुंदर प्रस्तुति की "पास ही मैं तो गांव है
चल कर तो देखिए कितना वहां तनाव है चलकर तो देखिए टूटी पड़ी है झोपड़ी रोटी नसीब नहीं"
इस गाने को जरूर सुनें, यहाँ क्लिक करें.
‘पास ही में गाँव है, कितना वहां तनाव हैं’: चंपारण सत्याग्रह पर कार्यक्रम
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 15, 2017
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