मधेपुरा जिले के पुरैनी प्रखंड के गणेशपुर पंचायत अन्तर्गत उ.म.वि डुमरैल की स्थिति से प्रखंड व राज्य में शिक्षा व्यवस्था और सरकार के दावे का आकलन किया जा सकता है।
न किताबें, न विद्यालय में नियमित रूप से विषयवार पढ़ाई और सितम्बर माह में अ़र्द्धवार्षिक परीक्षा होने को है. ऐसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात करना भी बेमानी होगी। बदहाल व्यवस्था के कारण सरकार और शिक्षा विभाग जो मुफ्त में बच्चों को किताब मुहैया कराने का संकल्प लिया है, शिक्षा सत्र के कई माह बीतने के बाद भी अबतक किसी कक्षा के छात्र को किताब उपलब्ध नहीं करा पाई है जो सरकार व विभाग की उदासीनता को दर्शाता है।
मंगलवार को 11 बजे जब पंचायत के मुखिया मो वाजिद उत्क्रमित मध्य विद्यालय डुमरैल के पोषक क्षेत्र के वार्ड सदस्य गोनर ऋषिदेव के साथ विद्यालय में पठन-पाठन का जायजा लेने पहुंचे तो विद्यालय की स्थिति काफी निराशाजनक पाई गयी। विद्यालय में जहां पदस्थापित 15 शिक्षकों में से 4 आकस्मिक अवकाश पर थे, वहीं 1 शिक्षिका अनुपस्थित थी। विद्यालय में नामांकित 611 छात्र-छात्राओं में से महज 127 छात्र-छात्रा ही उपस्थित पाये गये और एक और जहां कक्षा एक से छठी तक के छात्र-छात्राऐं बेंच डेस्क के अभाव में जमीन पर बोरा बिछाकर पढ़ रहे थे तो 7वीं और 8वीं में महज 2 से 4 की संख्या में बेंच डेस्क उपलब्ध थे।
मुखिया ने विद्यालय में नियमित रूप से आने वाले छात्रों से जब पठन-पाठन के बारे में पूछताछ की तो छात्र जवाब देने में असमर्थ पाऐ गये. इतना ही नहीं विद्यालय के प्रधानाध्यापक का भी नाम विद्यालय के वर्ग 3 के छात्र छात्राओं को पता न था। वहीं शिक्षकों नें यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि जब किताब ही नहीं है तो हम क्या पढ़ाएं? इसपर पंचायत के मुखिया ने कहा कि शिक्षक अपने स्तर से सिलेबस के अनुसार बच्चों को पढ़ाकर होमवर्क जरूर दें। मुखिया ने कहा कि विद्यालय में पठन-पाठन अगर सुदृढ़ नहीं हुई तो आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने विद्यालय के प्रधान शिक्षक विजय कुमार विमल को सख्त हिदायत दी कि अविलंब विद्यालय में बेंच डेस्क उपलब्ध कराते विषयवार वर्ग संचालन कराया जाए।
बदहालीः छात्रों की उपस्थिति चिंताजनक, बिना किताब कैसे हो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 01, 2017
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