
सभा को ई हरीश, अनन्त यादव, रविंद्र
यादव,
पूर्व मुखिया, पूर्व प्रधानाध्यापिका डा. शांति यादव,
एवं प्रो सूरज मंडल
सहित अनेक गणमान्य महानुभावों ने सम्बोधित किया।
स्व बी पी मंडल को श्रद्धांजलि देते हुए
प्रो सूरज मंडल ने अफ़सोस जाहिर किया कि नीतीश कुमार स्वयं
या किसी कैबिनेट मंत्री को मंडल जी के सम्मान में हुए राजकीय समारोह में नहीं भेजकर
सिर्फ नियम
ही नहीं तोड़ा है, बल्कि मंडल जी की स्मृति और पूरे पिछड़े वर्ग का अपमान किया
है. कहा कि मोदी सरकार ने ठीक दो दिन पहले 23 अगस्त 2017 को कैबिनेट में लिए फैसले
अनुसार आरक्षण को आर्थिक आधार पर तथा पिछड़े वर्ग को कई कैटेगरी में बाँट कर देने
का निर्णय लेकर मंडल जी की स्मृति को भी अपमानित करने की कोशिश की है। वैसे यह भी पिछड़े वर्ग
के साथ बड़ा धोखा है, क्योंकि जब सरकारी रोजगार ही नहीं बचा है, तो 'मोदी बांटो और राज करो' की नीति किस पर लागू करेंगें ?

प्रो सूरज मंडल ने कहा कि, "अनुसूचित जाति/जनजाति/OBCआरक्षण को निरस्त करने के लिए काँग्रेस समय से सरकारी
नौकरियां ख़त्म की जा रही हैं। यह बड़ी साज़िश है।
इस अवसर पर अनेक वक्ताओं ने स्व बी पी मंडल को याद करते हुए उनके सम्मान में
अपने विचार प्रकट किये।
मौके पर स्व० बी पी मंडल को जयंति पर याद करते बताया गया कि बिहार के पूर्व
मुख्यमंत्री, द्वितीय
पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष स्व बी पी मंडल का जन्म आज के दिन ही 1918 में बनारस
में हुआ था। उनके पिता, महान स्वतंत्रता सेनानी, काँग्रेस के बिहार से संस्थापक सदस्य,
यादव महासभा (गोपजातीय महासभा) के संस्थापक,
मुरहो स्टेट के जमींदार रास बिहारी लाल मण्डल,
जो इलाज के लिए बनारस में थे, जहाँ 26 अगस्त को 52 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हुई। अतः
26 अगस्त को इस धरती के महान सपूत रास बिहारी लाल मंडल की भी पुण्यतिथि है।
स्वाधीनता आंदोलन और सामाजिक न्याय में उनका योगदान अविस्मरणीय है। उनके तीनो
पुत्र एक्स एमएलसी 1924- भुवनेश्वरी प्रसाद मण्डल, एक्स एमएलसी 1937- कमलेश्वरी प्रसाद मंडल और पूर्व
मुख्यमंत्री, बिहार,
बी पी मण्डल का योगदान भुलाया नहीं जा सकता।
बी पी मंडल 1952 में मधेपुरा विधान सभा से सदस्य चुने गए. 1962 पुनः चुने गए
और 1967 में मधेपुरा से लोक सभा सदस्य चुने गए. 1965 में मधेपुरा क्षेत्र के पामा
गाँव में हरिजनों पर सवर्णों एवं पुलिस द्वारा अत्याचार पर वे विधानसभा में गरजते
हुए कांग्रेस को छोड़ सोशिलिस्ट पार्टी में आ चुके थे. बड़े नाटकीय राजनैतिक
उतार-चढ़ाव के बाद 1फ़रवरी,1968 में बिहार के पहले यादव मुख्यमंत्री बने, और उसके पहले बिहार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री भी थे.
1968 में उपचुनाव जीत कर पुनः लोक सभा सदस्य बने. 1972 में मधेपुरा विधान सभा
से सदस्य चुने गए. 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर मधेपुरा लोक सभा से सदस्य बने.
1977 में जनता पार्टी के बिहार संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष के नाते लालू प्रसाद को
कर्पूरी ठाकुर और सत्येन्द्र नारायण सिंह के विरोध के बावजूद छपरा से लोक सभा टिकट
मंडल जी ने ही दिया. 1978 में कर्णाटक के चिकमंगलूर से श्रीमती इंदिरा गाँधी के
लोक सभा में आने पर जब उनकी सदस्यता रद्द की जा रही थी,
तो मंडल जी ने इसका पुरजोर विरोध किया.
1.1.1979 को प्रधान मंत्री मोरारजी देसाई ने बी पी मंडल को पिछड़ा वर्ग आयोग
का अध्यक्ष नियुक्त किया, जिस जबाबदेही को मंडल जी ने बखूबी निभाया. इनके दिए गए रिपोर्ट को लाख कोशिश
के बावजूद सर्वोच्च न्यायालय में ख़ारिज नहीं किया जा सका. उनके रिपोर्ट के आधार
पर प्रधानमंत्री वी पी सिंह ने 1991 में केंद्र सरकार की नौकरियों में पिछड़े वर्ग
के लिए 27% आरक्षण दिया। देश में आग लग गयी।
कहा गया कि उसके बाद की घटनाएं तो तात्कालिक इतिहास में दर्ज है और जो
हममें से बहुतों को अच्छी तरह याद है. स्व बी पी मंडल जी की मृत्यु 13 अप्रैल.1982
को 63 वर्ष की आयु में हो गयी.
राजकीय समारोह में किसी मंत्री का शामिल न होना पिछड़े वर्ग का अपमान: प्रो० सूरज मंडल
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 25, 2017
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