
यदि 2012 के पिछले चुनाव की बात करें तो निवर्तमान वार्ड पार्षद आशा श्रीवास्तव को 168 मत मिले थे और दूसरे स्थान पर ओकेश कुमार 124 मत
लाकर रहे थे. इस बार के चुनाव में भी ये दोनों प्रत्याशी हैं और इनके अलावे
अशोक कुमार सिन्हा भी इसबार मजबूती से मैदान में डटे हुए हैं. श्री सिन्हा समेत कई अन्य पिछले चुनाव में प्रत्याशी थे, जबकि इस बार सिर्फ तीन निवर्तमान पार्षद आशा श्रीवास्तव, ओकेश कुमार और अशोक कुमार सिन्हा ही वार्ड नं. 17 से चुनावी मैदान में हैं.
वार्ड की स्थिति पर विरोधी इस बार कुछ अधिक की तल्ख़ नजर आते हैं. ओकेश कुमार निवर्तमान वार्ड पार्षद पर गंभीर आरोप लगते हैं. कहते हैं कि पिछले वर्षों में वार्ड पार्षद के द्वारा विकास का एक भी काम नहीं हुआ है. वार्ड को लूटने का काम हुआ है, यहाँ की जनता को ठगने का काम हुआ है. बैंक रोड में मुख्य सड़क पर नाले पर पालतू जानवर ने चारागाह बना लिया है, किसी नाले पर ढक्कन नहीं हैं. स्वामी विवेकानंद मार्ग दोनों वार्ड में आता है, वहां अभी भी घुटने भर पानी लगा हुआ है. किसी का ध्यान उसपर नहीं है और सिर्फ बिचालियों के द्वारा यहाँ लूटने का काम किया गया है. आवास योजना का लाभ भी दो मंजिले-तीन मंजिले भवन वालों को दिया गया है और कुछ वैसों को भी दिया गया है जो इनकम टैक्स पे करते हैं. कहते हैं कि वार्ड में बहुत सुधार की आवश्यकता है.
दूसरे प्रत्याशी अशोक कुमार सिन्हा भी निवर्तमान वार्ड पार्षद आशा श्रीवास्तव पर आरोपों की झड़ी लगाते कहते हैं कि वार्ड में न्यूनतम काम, सफाई, कचरे आदि पर भी काम नहीं हुए हैं. नालों की स्थिति जर्जर है. आवास योजना भी मुश्किल से दस-बारह लोगों को ठीक से मिला है और बाकी को प्रसाद की तरह बाँट दिया गया है. उसमे भी सबको रूला कर कमीशन खाने की बात लाभुक द्वारा बताई गई है. निवर्तमान पार्षद ने पक्षपात रूप से
काम किया है. सामुदायिक भवन के सामने उसने अपना भवन बनवाया है. कई मामलों में उसने दबंगई दिखाकर काम कराया है. वृद्धा पेंशन की आस में कई परलोक सिधार गए हैं, चार-पांच बचे हैं, उनकी भी अनदेखी की गई है. श्री सिन्हा कहते हैं कि पिछली बार उन्हें सहानुभूति वोट मिल गया था पर ऐसे पार्षद को बने रहने का कोई औचित्य नहीं है.
उधर लगाए आरोपों के बावत और उनका पक्ष जानने जब हम निवर्तमान वार्ड पार्षद आशा श्रीवास्तव के घर पहुंचे तो उसी समय उनके पुत्र बाहर से आते दिखे और बताया कि हम अभी मुर्गा खरीद कर बाहर से काफी देर के बाद आ रहे हैं, पता नहीं मम्मी घर में है या नहीं. घर के अन्दर जाने के कुछ देर बाद वे बाहर आते हैं और कहते हैं मम्मी घर में नहीं है. क्षेत्र घूम रही है. हमने कहा कि उन्हें फोन कर दीजिये या फोन पर बात करा दें तो उनका कहना था कि मम्मी मोबाइल नहीं रखती है. उसके बाद मधेपुरा टाइम्स ने अपना नंबर देते हुए उनसे कहा कि जब वे आएं तो हमें फोन कर दें या बात करा दें. पर रविवार दोपहर बाद से अभी मंगलवार रात्रि समाचार प्रेषण तक तक ‘न कोई ख़त आया, न कोई खबर आई’. अब ये बात तो वार्ड की जनता ही जानती होगी कि कोई समस्या आने पर वे अपने पार्षद से कैसे संपर्क करते हैं.
उधर वार्ड के कई लोगों से बात करने पर उनका कहना था कि वार्ड की स्थिति काफी दयनीय है, परिवर्तन होना चाहिए.

वार्ड की स्थिति पर विरोधी इस बार कुछ अधिक की तल्ख़ नजर आते हैं. ओकेश कुमार निवर्तमान वार्ड पार्षद पर गंभीर आरोप लगते हैं. कहते हैं कि पिछले वर्षों में वार्ड पार्षद के द्वारा विकास का एक भी काम नहीं हुआ है. वार्ड को लूटने का काम हुआ है, यहाँ की जनता को ठगने का काम हुआ है. बैंक रोड में मुख्य सड़क पर नाले पर पालतू जानवर ने चारागाह बना लिया है, किसी नाले पर ढक्कन नहीं हैं. स्वामी विवेकानंद मार्ग दोनों वार्ड में आता है, वहां अभी भी घुटने भर पानी लगा हुआ है. किसी का ध्यान उसपर नहीं है और सिर्फ बिचालियों के द्वारा यहाँ लूटने का काम किया गया है. आवास योजना का लाभ भी दो मंजिले-तीन मंजिले भवन वालों को दिया गया है और कुछ वैसों को भी दिया गया है जो इनकम टैक्स पे करते हैं. कहते हैं कि वार्ड में बहुत सुधार की आवश्यकता है.
दूसरे प्रत्याशी अशोक कुमार सिन्हा भी निवर्तमान वार्ड पार्षद आशा श्रीवास्तव पर आरोपों की झड़ी लगाते कहते हैं कि वार्ड में न्यूनतम काम, सफाई, कचरे आदि पर भी काम नहीं हुए हैं. नालों की स्थिति जर्जर है. आवास योजना भी मुश्किल से दस-बारह लोगों को ठीक से मिला है और बाकी को प्रसाद की तरह बाँट दिया गया है. उसमे भी सबको रूला कर कमीशन खाने की बात लाभुक द्वारा बताई गई है. निवर्तमान पार्षद ने पक्षपात रूप से

उधर लगाए आरोपों के बावत और उनका पक्ष जानने जब हम निवर्तमान वार्ड पार्षद आशा श्रीवास्तव के घर पहुंचे तो उसी समय उनके पुत्र बाहर से आते दिखे और बताया कि हम अभी मुर्गा खरीद कर बाहर से काफी देर के बाद आ रहे हैं, पता नहीं मम्मी घर में है या नहीं. घर के अन्दर जाने के कुछ देर बाद वे बाहर आते हैं और कहते हैं मम्मी घर में नहीं है. क्षेत्र घूम रही है. हमने कहा कि उन्हें फोन कर दीजिये या फोन पर बात करा दें तो उनका कहना था कि मम्मी मोबाइल नहीं रखती है. उसके बाद मधेपुरा टाइम्स ने अपना नंबर देते हुए उनसे कहा कि जब वे आएं तो हमें फोन कर दें या बात करा दें. पर रविवार दोपहर बाद से अभी मंगलवार रात्रि समाचार प्रेषण तक तक ‘न कोई ख़त आया, न कोई खबर आई’. अब ये बात तो वार्ड की जनता ही जानती होगी कि कोई समस्या आने पर वे अपने पार्षद से कैसे संपर्क करते हैं.
उधर वार्ड के कई लोगों से बात करने पर उनका कहना था कि वार्ड की स्थिति काफी दयनीय है, परिवर्तन होना चाहिए.
(सुनें वीडियो में क्या कह रहे हैं प्रत्याशी, यहाँ क्लिक करें)
वार्ड नं. 17: छोटे से पर दयनीय हालत वाले वार्ड में दिख रहे बदलाव के संकेत
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
May 16, 2017
Rating:
