

उजड़े परिवारों के अनुसार हमलोगो ने लाख समझाया कि बरसात के बाद हमलोग खुद हटा लेंगे, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। हमलोगो को डीएम साहब ने पूर्व में आश्वस्त किया था कि हमे अन्य सरकारी जमीन पर बसाया जाएगा। लेकिन अब सी ओ साहब कह रहे हैं कि सरकारी जमीन पर बसना है तो बेतौना गांव जाना होगा। लेकिन हमलोग मधेपुरा में मजदूरी करके खाते है । उतना दूर से हमलोग कैसे यहां आकर मजदूरी कर पाएंगे।
दूसरी ओर अंचलाधिकारी बताते हैं कि भागलपुरिया सड़क पर उच्च स्तरीय पुल बन चुका है और ये लोग इसी सड़क पर आकर बस गए थे। इन लोगो को पूर्व में नियमानुसार नोटिस दिया गया था। लेकिन ये वहीं जमे हुए थे। विवश होकर इन्हें हटाना पड़ा।
रंजू ऋषिदेव, लाल दास और दिनेश ठाकुर के घरों को हटाया गया है। लाल दास बताते हैं कि हमलोग बाजार में मजदूरी कर रहे थे। नगर परिषद का जेसीबी लेकर आए सरकारी लोगों ने कोई मौका नहीं दिया और जेसीबी मशीन से घर को तोड दिया गया। इसके कारण हमारा बक्सा, चौकी, किवाड़ आदि भी टूट कर बर्बाद हो गया।
दूसरी ओर इन उजड़े घरवाले गरीबों को बारिश और आंधी ने भी शाम में नहीं बख्शा ।
मधेपुरा शहर में सरकारी भूमि पर बसे तीन घरों को जेसीबी से उजाड़ा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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May 15, 2017
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