जो कलम पीड़ितों की आवाज बनकर उभरती हो और कोई सरकारी अधिकारी यदि उस कलम के पीछे ही पड़ जाय तो इससे बड़ा दुर्भाग्य लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के लिए भला क्या हो सकता है.
सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर एसडीओ के काले कारनामे अखबार में प्रकाशित होने पर दुर्भावना से ग्रसित होकर बिहार सरकर की गैरमजरूआ खास व हाट सैरात की जमीन को कुख्यात अपराधियों के हाथ रजिस्ट्री कराकर एक पत्रकार के घर को उजाड़ बेदखल कर कब्जा कराने की साजिश करने करने का मामला सामने आया है. यही नहीं पत्रकार ने यह भी आशंका जताई है कि विरोध करने पर मेरा या मेरे परिवार के सदस्यों की हत्या कराई जा सकती है.
सिमरी बख्तियारपुर निवासी और कोसी के जानेमाने फोटोजर्नलिस्ट अजय कुमार ने मुख्यमंत्री को लिखे आवेदन में कहा है कि मौज़ा बख्तियारपुर, थाना न. 64, खाता पुराना – 391 , खेसरा पुराना -1975 व 4272 , बिहार सरकार की गैरमजरूआखास व हाट सैरात की जमीन है . मैं भूमिहीन हूं . दोनों खेसरा की मिलजुमला रकवा करीब 1 कट्ठा 6 धूर पर मैं विगत 35 – 40 वर्षों से ईंट , खपरैल व फूस का घर बनाकर लगातार सपरिवार निवास करते आ रहा हूं . एसडीओ ने दुर्भावना से भूमाफिया , सफेदपोश , पूंजीपतियों , बिचौलिये, दबंगों व मेरे विपक्षियों से सांठ – गांठ कर उक्त सरकारी जमीन को कुख्यात अपराधियों के हाथों रजिस्ट्री कराकर मुझे बेदखल करने की साजिश की जा रही है . विरोध करने पर मेरी हत्या भी हो सकती है ।
बिहार सरकार की उपरोक्त एवं अन्य खेसरा की जमीन पर अनुमंडल न्यायालय सिमरी बख्तियारपुर में अतिक्रमण वाद संख्या – 03 / 1992 – 93 में सरकार के पक्ष में आदेश पारित हुआ था । उक्त आदेश के विरुद्ध अपर समाहर्ता सहरसा के न्यायालय में अपील दायर की गई थी . लेकिन सभी की अपील खारिज हो चुकी है । मेरे विपक्षी पशुपतिनाथ गुप्ता व अन्य ने खाता पुराना 391 , खेसरा पुराना 1975 , रकवा 02 कट्ठा 02 धूर पर अपना रैयती जमीन का दावा कर माननीय मुंसिफ़ के न्यायालय में अधिकार वाद संख्या – 92 / 1995 दायर की थी । वर्ष 2010 में उनके दावा भी खारिज हो चुकी है । बावजूद एसडीओ ने मेरी पत्रकारिता से आहत होकर बिहार सरकार की मेरे कब्जे वाली जमीन को श्री गुप्ता द्वारा अपराधियों के हाथों रजिस्ट्री कराकर मुझे बेदखल कर करने की साजिश की जा रही है . विरोध करने पर मेरी हत्या भी हो सकती है ।
उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आगे लिखा है कि बिहार सरकार की उपरोक्त एवं अन्य खेसरा की जमीन पर अनुमंडल न्यायालय सिमरी बख्तियारपुर में अतिक्रमण वाद संख्या – 03 / 1992 – 93 में सरकार के पक्ष में आदेश पारित हुआ था । उक्त आदेश के विरुद्ध अपर समाहर्ता सहरसा के न्यायालय में अपील दायर की गई थी . लेकिन सभी की अपील खारिज हो चुकी है । मेरे विपक्षी पशुपतिनाथ गुप्ता व अन्य ने खाता पुराना 391 , खेसरा पुराना 1975 , रकवा 02 कट्ठा 02 धूर पर अपना रैयती जमीन का दावा कर माननीय मुंसिफ़ के न्यायालय में अधिकार वाद संख्या – 92 / 1995 दायर की थी । वर्ष 2010 में उनके दावा भी खारिज हो चुकी है । बावजूद एसडीओ ने मेरी पत्रकारिता से आहत होकर बिहार सरकार की मेरे कब्जे वाली जमीन को श्री गुप्ता द्वारा अपराधियों के हाथों रजिस्ट्री कराकर मुझे बेदखल करने की भयंकर साजिश की जा रही है ।
बताया कि बिहार सरकार की जमीन की बावत अंचल कार्यालय में अतिक्रमण वाद संख्या–01/1990–91 , 03/1994-95 , 01/1998-99 के अलावे गैरमजरूआ खास व सैरातपंजी से अवलोकन किया जा सकता है । विपक्षी श्री गुप्ता द्वारा गलत ढंग से सरकारी जमीन की रजिस्ट्री कराकर अंचलकर्मियों को मेल में लेकर फर्जी दाखिल खारिज पर जमाबंदी संख्या – 1369 कायम करा ली गई । मामला उजागर होने पर राजस्व कर्मचारी ने रजिस्टर टू के पन्ने को फाड़ बदल दिया . वर्तमान पन्ने पर पूर्व के अंचल निरीक्षक द्वारा T.S / 1992-95 के आदेश का जिक्र कर देने के बावजूद एसडीओ व सीओ ने पंद्रह वर्षों से रूका हुआ मालगुजारी रसीद विपक्षी को कटवा दिया ताकि जमीन बिक्री कराया जा सके । इससे स्पष्ट होता है की उपरोक्त दोनों पदाधिकारी सरकार का नौकर रहने के बावजूद निजी स्वार्थ में सरकारी जमीन की बिक्री कराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाह रहे हैं । इसके पूर्व भी एसडीओ व सीओ पर करोडों रूपये मूल्य की सरकारी जमीन बिक्री कराने का आरोप लग चुका है. उन्होंने कहा कि सरकारी जमीन पर से मुझे बेदखल करने की साजिश का खुलासा 20 जनवरी 17 से अब तक एसडीओ के मोब न.- 9473191343 , 9431066009 तथा सीओ के मोब. 8544412839 की कॉल डिटेल की जांच से उजागर हो सकता है कि इस अवधि में किस लोगों से कब कब तथा कितने बार तथा कितने समय तक बातें हुई तथा इसका उद्देश्य क्या था ।
पत्रकार अजय कुमार ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है कि तत्काल सरकारी जमीन की रजिस्ट्री पर रोक लगाने के साथ अंचल तथा संलग्न कागजातों की उच्चस्तरीय जांच करा कर दोषियों के विरुद्ध कारवाई कर मेरी जानमाल की सुरक्षा प्रदान की जाय ।
(नि.सं.)
अधिकारी के खिलाफ कलम उठाई तो पत्रकार के जान पर बन आई, लगाई सीएम से गुहार
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 03, 2017
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