*यह मंदिर गवाह है सनातन और बौद्ध धर्म के समागम का: सिंहेश्वर के प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर के बाहरी उत्तरी दीवार पर उत्कीर्ण महात्मा बुद्ध की प्रतिमा के स्थान पर भगवान् बुद्ध की नयी संगमरमर की प्रतिमा स्थापित की जाएगी।
इस बावत मंदिर न्यास समिति के सचिव सह उप विकास आयुक्त मिथिलेश कुमार ने बताया कि प्रतिमा निर्माण के लिए बनारस के मूर्तिकार को आदेश दिया जा चुका है।
महात्मा को भगवान बनाने का साक्ष्य है सिंहेश्वर का शिव मंदिर: कोसी की विभीषिका यहाँ के ऐतिहासिक धरोहरों को लील चुकी है। इस क्षेत्र में बिरले धरोहर ही दृश्य हैं, शेष या तो कोसी मैया बहा ले गयी है या फिर अपार बालुका राशि के नीचे कहीं दबी होगी। सिंहेश्वर का शिव मंदिर प्राचीन है और श्रृंगी ऋषि, जिन्होंने राजा दशरथ के लिए पुत्रेष्ठी यज्ञ करवाया, द्वारा स्थापित माना जाता रहा है। यह मंदिर एक और ऐतिहासिक और धार्मिक तथ्य का आज भी गवाह है कि महात्मा बुद्ध को अवतार मानकर उन्हें भगवान् का दर्जा देकर बौद्धों को सनातनी बना या मान कर इस क्षेत्र में पुनः सनातन धर्म की पुनर्स्थापना की गयी थी।
उत्कीर्ण है भगवान बुद्ध की प्रतिमा: सिंहेश्वर के प्राचीन मंदिर का निर्माण और जीर्णोधार एक व्यवसायी हरी चरण चौधरी ने करवाई थी। पुनर्निर्माण की परंपरा रही है कि इसके धार्मिक प्रतीकों और प्रतिमाओं को अक्षुण रखा जाता है। वर्तमान मंदिर चौकोर है और बीच में स्थित बाबा भोले का मंदिर है। शिव मंदिर के बाहरी दीवार पर अन्य देवी देवताओं के अतिरिक्त भगवान् बुद्ध की प्रतिमा भी उत्कीर्ण है। भगवान बुद्ध की इस प्रतिमा का पूजन लोग भक्तिभाव से करते रहे हैं।
क्या है मान्यता?: यहाँ श्रद्धालुओं और विद्वानों के बीच यह मान्यता भी है कि महिषी के विख्यात विद्वान मंडन मिश्र और उनकी विदुषी पत्नी भारती बौद्ध धर्मी थे। सनातन धर्म के नायक शंकराचार्य ने उन्हें शास्त्रार्थ की चुनौती दी थी। शर्त यह भी तय हुआ कि जो पराजित होगा वह विजेता धर्म का अनुयायी बन जायेगा। शास्त्रार्थ हुआ और अंततः मंडन मिश्र एवं भारती पराजित हो गए। वे बौद्ध से सनातनी बने। लेकिन जन सामान्य को सनातनी बनाना मुश्किल था। परिणामतः धार्मिक मंत्रणा और विचार विनिमय के बाद महात्मा बुद्ध को भगवान का एक अवतार मान लिया गया। बौद्ध मठों को तांत्रिक पीठों का रूप दिया जाने लगा और इसी क्रम में मंदिरों में भगवान बुद्ध की प्रतिमा उत्कीर्ण की जाने लगी। बाद में कोसी की विभीषिका ने अन्य मंदिरों को तो धीरे धीरे लील लिया। लेकिन सिंहेश्वर के शिव मंदिर के बाहरी दीवार पर आज भी उत्कीर्ण की गयी भगवान् बुद्ध की प्रतिमा विराजमान है।
महात्मा को भगवान बनाने का साक्ष्य है सिंहेश्वर का शिव मंदिर: कोसी की विभीषिका यहाँ के ऐतिहासिक धरोहरों को लील चुकी है। इस क्षेत्र में बिरले धरोहर ही दृश्य हैं, शेष या तो कोसी मैया बहा ले गयी है या फिर अपार बालुका राशि के नीचे कहीं दबी होगी। सिंहेश्वर का शिव मंदिर प्राचीन है और श्रृंगी ऋषि, जिन्होंने राजा दशरथ के लिए पुत्रेष्ठी यज्ञ करवाया, द्वारा स्थापित माना जाता रहा है। यह मंदिर एक और ऐतिहासिक और धार्मिक तथ्य का आज भी गवाह है कि महात्मा बुद्ध को अवतार मानकर उन्हें भगवान् का दर्जा देकर बौद्धों को सनातनी बना या मान कर इस क्षेत्र में पुनः सनातन धर्म की पुनर्स्थापना की गयी थी।
उत्कीर्ण है भगवान बुद्ध की प्रतिमा: सिंहेश्वर के प्राचीन मंदिर का निर्माण और जीर्णोधार एक व्यवसायी हरी चरण चौधरी ने करवाई थी। पुनर्निर्माण की परंपरा रही है कि इसके धार्मिक प्रतीकों और प्रतिमाओं को अक्षुण रखा जाता है। वर्तमान मंदिर चौकोर है और बीच में स्थित बाबा भोले का मंदिर है। शिव मंदिर के बाहरी दीवार पर अन्य देवी देवताओं के अतिरिक्त भगवान् बुद्ध की प्रतिमा भी उत्कीर्ण है। भगवान बुद्ध की इस प्रतिमा का पूजन लोग भक्तिभाव से करते रहे हैं।
क्या है मान्यता?: यहाँ श्रद्धालुओं और विद्वानों के बीच यह मान्यता भी है कि महिषी के विख्यात विद्वान मंडन मिश्र और उनकी विदुषी पत्नी भारती बौद्ध धर्मी थे। सनातन धर्म के नायक शंकराचार्य ने उन्हें शास्त्रार्थ की चुनौती दी थी। शर्त यह भी तय हुआ कि जो पराजित होगा वह विजेता धर्म का अनुयायी बन जायेगा। शास्त्रार्थ हुआ और अंततः मंडन मिश्र एवं भारती पराजित हो गए। वे बौद्ध से सनातनी बने। लेकिन जन सामान्य को सनातनी बनाना मुश्किल था। परिणामतः धार्मिक मंत्रणा और विचार विनिमय के बाद महात्मा बुद्ध को भगवान का एक अवतार मान लिया गया। बौद्ध मठों को तांत्रिक पीठों का रूप दिया जाने लगा और इसी क्रम में मंदिरों में भगवान बुद्ध की प्रतिमा उत्कीर्ण की जाने लगी। बाद में कोसी की विभीषिका ने अन्य मंदिरों को तो धीरे धीरे लील लिया। लेकिन सिंहेश्वर के शिव मंदिर के बाहरी दीवार पर आज भी उत्कीर्ण की गयी भगवान् बुद्ध की प्रतिमा विराजमान है।
बड़ी खबर: सिंहेश्वर मंदिर के बाहरी दीवार पर लगेगी महात्मा बुद्ध की संगमरमर की प्रतिमा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 27, 2017
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