42 साल की निर्बाध कठिन सेवा के बाद भी यदि कोई व्यक्ति महज एक दिन भी नहीं ठहरना चाहता हो तो ये हजारों उन लोगों के लिए एक सीख साबित हो सकती है जो सेवा के दौरान ही थका महसूस करते हैं.
मधेपुरा व्यवहार न्यायालय के सिरिस्तेदार के पद से आज 31 जनवरी को अवकाश ग्रहण करने वाले राज किशोर मिश्र एक ऐसी ही शख्सियत हैं जिन्होंने 42 से अधिक वर्षों की सरकारी सेवा से अवकाश प्राप्त करने के बाद घंटे भर भी घर में आराम नहीं किया और ‘घर-गृहस्थी’ संभाल ली.
चौंकिएगा नहीं, घर-गृहस्थी श्री मिश्र के जिला मुख्यालय के कर्पूरी चौक स्थित उस जेनरल स्टोर का नाम है जिसकी कल्पना उन्होंने तब ही कर ली थी जब उन्होंने अवकाश के बाद भी पूरी तरह सक्रिय रहने का मन बना लिया था. कल उद्घाटन हुए इस स्टोर में आज अंतिम दिन ऑफिस से आकर उन्होंने पूरा समय दिया.
बता दें कि 23 जुलाई 1974 को सहरसा व्यवहार न्यायालय में (उस समय मधेपुरा में व्यवहार न्यायालय नहीं था) योगदान देकर लगातार बेहतर सेवा से अधिकारियों और सहकर्मियों के बीच काफी लोकप्रिय रह चुके व्यवहारकुशल श्री मिश्र के साथ आज व्यवहार न्यायालय के एक चतुर्थवर्गीय कर्मचारी सत्यनारायण यादव ने भी अवकाश ग्रहण किया है. न थकने वाली बात पर राज किशोर मिश्र के तर्क भी कुछ अलग है. कहते हैं, रिटायर का मतलब रि-टायर है, यानि जीवन में नया टायर लगना. जाहिर है, जीवन चलते रहने का नाम है.
(नि.सं.)
‘जीवन चलने का नाम’: मधेपुरा सिविल कोर्ट के सिरिस्तेदार का अवकाशग्रहण है कुछ ख़ास
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 31, 2017
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