मधेपुरा जिला मुख्यालय में समाहरणालय के सामने आज दलित अतिपिछड़ा वंचित मोर्चा के बैनर तले नौ सूत्री मांगों को लेकर धरना दिया गया. धरना में बढई, मल्लाह, बिंद, नाई, कहार, कुम्हार, नोनिया आदि जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग की गई.
धरना दे रहे पुरुष और महिलाओं का कहना था कि देश की आजादी के इतने साल बाद भी दलित और अतिपिछड़ा समाज आज भी हाशिये पर है.
कहा कि डॉ. भीम राव अम्बेदकर ने कोशिश की थी कि इस समाज को अतिरिक्त वोट देने का अधिकार हो ताकि धन बल के दम पर समर्थ जातियां सत्ता पर कब्जा न कर लें. दलित पिछड़ा वर्ग की संख्या कुल जनसंख्या का 52 प्रतिशत है. लेकिन आज भी यह समाज उपेक्षित है.
कहा कि डॉ. भीम राव अम्बेदकर ने कोशिश की थी कि इस समाज को अतिरिक्त वोट देने का अधिकार हो ताकि धन बल के दम पर समर्थ जातियां सत्ता पर कब्जा न कर लें. दलित पिछड़ा वर्ग की संख्या कुल जनसंख्या का 52 प्रतिशत है. लेकिन आज भी यह समाज उपेक्षित है.
धरना दे रहे अतिपिछड़ा समाज के लोगों ने संख्या बल के आधार पर ग्राम पंचायत से संसद तक में आरक्षण की मांग की और संख्या बल के आधार पर आरक्षण कोटा तय करने की मांग की. उन्होंने इसके अलावे पूना पैक्ट पर पुनर्विचार करने, दलित अतिपिछड़ों पर हो रहे जुल्म व अत्याचार पर रोक लगाने आदि समेत नौ मांगों को लेकर
प्रदर्शन किया.
धरना कार्यक्रम में सीताराम शर्मा, कपिलदेव शर्मा, राजेंद्र शर्मा, गोविंद शर्मा, कैलाश शर्मा, सुरेश पंडित, प्रमिला देवी, सोनी देवी समेत
कई दर्जन लोग शामिल थे.
‘ग्राम पंचायत से संसद तक चाहिए आरक्षण’: दलित अतिपिछड़ा वंचित मोर्चा का प्रदर्शन
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 18, 2016
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