ये घटना सभ्य समाज के मुंह पर तमाचा है
जहाँ मामूली सी बात पर हत्या कर दी जाती है और उसके परिवार की दुनियां पलक झपकते ही उजड़ जाती है. गोबर उठाने पर हुए विवाद में एक
नाबालिग समेत पांच लोगों ने मिलकर दो की इस बेरहमी से हत्या की कि सुनने और देखने
वालों के रोंगटे खड़े हो गए.
            मधेपुरा
जिले के ग्वालपाड़ा थानाक्षेत्र के शाहपुर नहर पर 23 मार्च 2002 की रात में शाहपुर
के जमुनिया टोला के सुभाष मंडल और अरूण मंडल को उस समय चाकूओं से गोद दिया गया जब
वे ताजिया मेला देखकर वापस आ रहे थे. 
मारने वालों में रंजन सिंह उर्फ़ आई.जी. सिंह, छठू सिंह, आशुतोष पाठक, डोमी सिंह और एक नाबालिग लड़के का नाम आया था. सुभाष मंडल चाकूओं का वार सह नहीं पाया और नहर पर ही दम तोड़ दिया. जबकि दूसरे अरूण मंडल को मरा समझकर आरोपी भाग गए. कुछ देर के बाद जब अरूण मंडल को होश आया तो शरीर लहूलुहान था.
उसने कपडे से अपने फटे पेट और छाती को बाँधा और गाँव की तरफ दौड़ा. पर घर पहुँचने से पहले पड़ोसी के दरवाजे पर गिर पड़ा. हल्ला हुआ और अरूण को अस्पताल ले जाया गया जहाँ उसकी जान बमुश्किल बच पाई. अरूण ने घटना लोगों को सुनाई और फिर मुक़दमे का सूचक बना. हत्यारों में से एक नाबालिग को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने सुनवाई के लिए भेजा गया तो बाकी चार पर मधेपुरा के सत्र न्यायाधीश श्री मजहर इमाम की अदालत में मुक़दमे की सुनवाई हुई.
मारने वालों में रंजन सिंह उर्फ़ आई.जी. सिंह, छठू सिंह, आशुतोष पाठक, डोमी सिंह और एक नाबालिग लड़के का नाम आया था. सुभाष मंडल चाकूओं का वार सह नहीं पाया और नहर पर ही दम तोड़ दिया. जबकि दूसरे अरूण मंडल को मरा समझकर आरोपी भाग गए. कुछ देर के बाद जब अरूण मंडल को होश आया तो शरीर लहूलुहान था.
उसने कपडे से अपने फटे पेट और छाती को बाँधा और गाँव की तरफ दौड़ा. पर घर पहुँचने से पहले पड़ोसी के दरवाजे पर गिर पड़ा. हल्ला हुआ और अरूण को अस्पताल ले जाया गया जहाँ उसकी जान बमुश्किल बच पाई. अरूण ने घटना लोगों को सुनाई और फिर मुक़दमे का सूचक बना. हत्यारों में से एक नाबालिग को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने सुनवाई के लिए भेजा गया तो बाकी चार पर मधेपुरा के सत्र न्यायाधीश श्री मजहर इमाम की अदालत में मुक़दमे की सुनवाई हुई.
            आज
सत्रवाद संख्यां 115/2004 में सत्र न्यायाधीश श्री मजहर इमाम ने चारों हत्यारों को
सुभाष मंडल की हत्या के जुर्म में उम्रकैद और 25-25 हजार रूपये अर्थदंड और अरूण
मंडल की हत्या के प्रयास में दस वर्ष की सजा और 10-10 हजार रूपये अर्थदंड लगाया.
   
मामले में 14 साल बाद ही सही, पर एक बार फिर कानून का राज स्थापित होता नजर
आया.
हत्या के मामले में चार को उम्रकैद, 14 साल पहले गोबर हटाने को लेकर हुआ था विवाद 
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