शराबबंदी पर सरकार सामाजिक सुधार के साथ राजनीतिक रोटी भी सेंकते हुऐ एक तीर से दो शिकार करती हुई जान पडती है. धन्यवाद बटोरने के सिलसिलेवार कार्यक्रम और डीजीपी से शराब बंदी के कारण अपराध पर अंकुश लगाये जाने का बयान दिलाकर सरकार खुद अपना पीठ थपथपाती नजर आ रही है.
सामाजिक परिपेक्ष्य में सरकार के द्वारा लिया गया निर्णय स्वागत योग्य है, लेकिन राजनीतिक दृष्टि से भी यह बड़ा निर्णय कुछ खास मायने रखता है. नीतीश कुमार बिहार के इस सोच को लेकर एक बार फिर से देश भर में शराबबंदी का अलख जगा सकते हैं. सरकार इस तरह से तैयार किए गए एजेंडे पर जनता और खासकर महिलाओं की मुहर भी लगवा रहे है. यही नहीं, इसके साथ ही मुख्यमंत्री इस सफलता को अपराध से भी जोड़ कर इसे बड़ी कामयाबी बता रहे है.
पर इतने सख्त कानून बनाने और थानाध्यक्ष के क्षेत्र में शराब बेचने की जानकारी मिलने पर 10 साल थाना नही मिलने की चेतावनी के बाद भी प्रत्येक दिन शराब और शराब पीने वाले नजर आ रहे हैं. मधेपुरा जिले के सिंहेश्वर थानाक्षेत्र के लालपुर में तो एक होमगार्ड का जवान ही शराब बेचने का आरोपी पाया गया. उम्मीदवारों के चुनावी रंजिश में लालपुर में लगातार दो दिन 86 और 150 बोतल देशी शराब का मिलना भी पूर्ण शराब बंदी की सफलता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है.
बीते दिन मिडिया मे जहरीली शराब पीने से मौत होने की खबर,पंचायत चुनाव में जमकर शराब बांटे जाने की बात, हजारो लीटर शराब की जब्ती, होटलों में शराब पीते बड़े लोग शराबबंदी की मुहिम की पूर्ण सफलता को अभी कठघरे में खड़ा करती है.
दूसरी ओर अपराध के मसले पर जब बहस छिड़ चुकी है और जहाँ सहरसा में मुख्यमंत्री और डीजीपी द्वारा अपराध का ग्राफ नीचे आने की बात कही जा रही थी वहां सहरसा के लोगों के लिए इसे गले से नीचे उतारना शायद मुश्किल हो रहा था क्योंकि एक पखवारे में ही दो राजद नेताओं की हत्या के मामले अभी अपराधियों के बुलंद हौसले को बयां करने के लिए काफी है.
सामाजिक परिपेक्ष्य में सरकार के द्वारा लिया गया निर्णय स्वागत योग्य है, लेकिन राजनीतिक दृष्टि से भी यह बड़ा निर्णय कुछ खास मायने रखता है. नीतीश कुमार बिहार के इस सोच को लेकर एक बार फिर से देश भर में शराबबंदी का अलख जगा सकते हैं. सरकार इस तरह से तैयार किए गए एजेंडे पर जनता और खासकर महिलाओं की मुहर भी लगवा रहे है. यही नहीं, इसके साथ ही मुख्यमंत्री इस सफलता को अपराध से भी जोड़ कर इसे बड़ी कामयाबी बता रहे है.
पर इतने सख्त कानून बनाने और थानाध्यक्ष के क्षेत्र में शराब बेचने की जानकारी मिलने पर 10 साल थाना नही मिलने की चेतावनी के बाद भी प्रत्येक दिन शराब और शराब पीने वाले नजर आ रहे हैं. मधेपुरा जिले के सिंहेश्वर थानाक्षेत्र के लालपुर में तो एक होमगार्ड का जवान ही शराब बेचने का आरोपी पाया गया. उम्मीदवारों के चुनावी रंजिश में लालपुर में लगातार दो दिन 86 और 150 बोतल देशी शराब का मिलना भी पूर्ण शराब बंदी की सफलता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है.
बीते दिन मिडिया मे जहरीली शराब पीने से मौत होने की खबर,पंचायत चुनाव में जमकर शराब बांटे जाने की बात, हजारो लीटर शराब की जब्ती, होटलों में शराब पीते बड़े लोग शराबबंदी की मुहिम की पूर्ण सफलता को अभी कठघरे में खड़ा करती है.
दूसरी ओर अपराध के मसले पर जब बहस छिड़ चुकी है और जहाँ सहरसा में मुख्यमंत्री और डीजीपी द्वारा अपराध का ग्राफ नीचे आने की बात कही जा रही थी वहां सहरसा के लोगों के लिए इसे गले से नीचे उतारना शायद मुश्किल हो रहा था क्योंकि एक पखवारे में ही दो राजद नेताओं की हत्या के मामले अभी अपराधियों के बुलंद हौसले को बयां करने के लिए काफी है.
शराबबंदी पर सरकार: एक तीर से दो शिकार !
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
May 03, 2016
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