


इसी सत्र में श्री रेनू ने कहा कि जिस समाज में कला और संस्कृति जितनी समृद्ध होती है उस समाज को उतना ही श्रेष्ठ और गौरवपूर्ण माना जाता है. कोशी क्षेत्र के लिए यह गौरवपूर्ण बात है कि EZCC का ध्यान गम्हरिया जैसे ग्रामीण क्षेत्रों पर पड़ा और ऐसे बड़े कार्यशाला का आयोजन किया गया. सहायक कार्यशाला निदेशक महुआ सेन ने कहा कि इस तरह के कार्यशाला से हमारे ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों का सर्वांगीण विकास होगा तथा कार्यशाला प्रभारी मिथुन कुमार गुप्ता का मानना है कि ग्रामीण क्षेत्र में सुषुप्तावस्था में जा रही कला और संस्कृति को इस तरह के कार्यशाला से बल मिलेगा.
रंगकर्मी अमित अंशु ने जहाँ रंगकर्म के समृद्धि में स्थानीय लोगों की सहायता की सराहना की वहीँ स्थानीय ग्रामीण रंगकर्म के वरिष्ठ रंगकर्मी शत्रुघ्न कुमार, लाला चंद्रशेखर, हीरालाल यादव, पवन कुमार सुमन, गोपाल गुप्ता, तम प्रकाश चौधरी, मोहम्मद रहमान तथा सहरसा के वरिष्ठ रंगकर्मी अमित जय-जय और खुशबू सिंह ने कार्यशाला के बच्चों को अपना आशीर्वचन दिया कार्यशाला में मधेपुरा सहरसा सुपौल और दरभंगा के रंगकर्मियों ने भाग लिया.
‘जहाँ कला-संस्कृति जितनी समृद्ध होती है, वह समाज उतना श्रेष्ठ माना जाता है’: रामबहादुर रेनू
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
May 17, 2016
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