मधेपुरा जिला के चौसा अस्पताल में भर्ती मरीजों को सरकारी दवा नहीं मिलने के कारण परिजनों एवं स्थानीय लोगों ने आज जम कर हो हंगामा किया.
मिली जानकारी के अनुसार लोगों का आरोप है कि अस्पताल में प्रसव के लिए जो महिला आती है उसे सरकारी दवा देने के बदले दुकान से खरीदने की सलाह आशा कार्यकर्ता द्वारा दी जाती है, जिस पर आज एक मरीज के परिजनों ने जम कर विरोध करते हुए हो हंगामा किया.
ननकी देवी, झूना देवी, नवीना खातून, मिलन देवी ने बताया कि हम मरीजों को जब डॉक्टर द्वारा सरकारी दवा लिखा गया तो अस्पताल में तैनात आशा कार्यकर्ता कहती है कि अस्पताल का दवाई पटनिया दवाई है. इस दवाई के खाने से कोई फायदा नहीं होगा. बगल में दवाई दुकान है वहां से दवाई खरीद लाओ. नहीं जाने पर आशा खुद मेडिकल दुकान पर ले जाकर दवाई खरीदवाती है. मरीजों का आरोप है कि दवा दुकानदार से आशा की मिलीभगत है। इस मरीजों एवं स्थानीय लोगों ने अस्पताल परिसर में हो हंगामा किया.
ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक डा.यू.एन. दिवाकर ने बताया कि इस तरह की कोई बात नही है. अस्पताल में मरीजों के लिए पर्याप्त दवाई है. मरीजों को सरकारी पुर्जा पर सरकारी दवाई ही लिखी जाती है जो बेहतर है. अब यदि आशा कार्यकर्ता मरीजों को बरगला कर दुकान से दवाई खरीदवाती है तो गलत है. घटना की सूचना मिलते ही स्वास्थ्य प्रबंधक मो० शाहनवाज मौके पर आकर परिजनों को समझा बुझा कर किसी तरह मामले को यह कह कर शांत कराया कि जांच कर दोषी आशा के विरूद्ध कार्रवाई की जायेगी.
मिली जानकारी के अनुसार लोगों का आरोप है कि अस्पताल में प्रसव के लिए जो महिला आती है उसे सरकारी दवा देने के बदले दुकान से खरीदने की सलाह आशा कार्यकर्ता द्वारा दी जाती है, जिस पर आज एक मरीज के परिजनों ने जम कर विरोध करते हुए हो हंगामा किया.
ननकी देवी, झूना देवी, नवीना खातून, मिलन देवी ने बताया कि हम मरीजों को जब डॉक्टर द्वारा सरकारी दवा लिखा गया तो अस्पताल में तैनात आशा कार्यकर्ता कहती है कि अस्पताल का दवाई पटनिया दवाई है. इस दवाई के खाने से कोई फायदा नहीं होगा. बगल में दवाई दुकान है वहां से दवाई खरीद लाओ. नहीं जाने पर आशा खुद मेडिकल दुकान पर ले जाकर दवाई खरीदवाती है. मरीजों का आरोप है कि दवा दुकानदार से आशा की मिलीभगत है। इस मरीजों एवं स्थानीय लोगों ने अस्पताल परिसर में हो हंगामा किया.
ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक डा.यू.एन. दिवाकर ने बताया कि इस तरह की कोई बात नही है. अस्पताल में मरीजों के लिए पर्याप्त दवाई है. मरीजों को सरकारी पुर्जा पर सरकारी दवाई ही लिखी जाती है जो बेहतर है. अब यदि आशा कार्यकर्ता मरीजों को बरगला कर दुकान से दवाई खरीदवाती है तो गलत है. घटना की सूचना मिलते ही स्वास्थ्य प्रबंधक मो० शाहनवाज मौके पर आकर परिजनों को समझा बुझा कर किसी तरह मामले को यह कह कर शांत कराया कि जांच कर दोषी आशा के विरूद्ध कार्रवाई की जायेगी.
"अस्पताल की दवा पटनिया है, फायदा नहीं करेगा": आशा के कहने पर हंगामा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
February 20, 2016
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