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चक्की रही उदास
कई दिनों तक कानी कुतिया
सोई उनके पास”
नागार्जुन की कविता के ये अंश भले ही कुछ और बताने के लिए हों, पर मधेपुरा में सरकारी स्कूलों के चूल्हे भी कुछ इसी तरह के दर्द बयां करते हैं और बताते हैं कि शिक्षकों की लापरवाही ने किस तरह यहाँ की शिक्षा को रूला रखा है.
मधेपुरा जिले के गम्हरिया प्रखंड के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी जवाहर प्रसाद यादव ने जब आज विभिन्न स्कूलों का अचानक दौरा किया तो परिणाम चौंकाने वाले थे. मिड-डे-मील की बात तो हटाइए यहाँ दो आखर पढ़ाने के लिए शिक्षक ही स्कूल से गायब थे और स्कूलों में ताले लटक रहे थे. धोबी टोला गम्हरिया के नव सृजित प्राथमिक विद्यालय दिन में पूर्णरूपेण बंद पाया गया और ग्रामीणों ने कहा कि हेड मिस्ट्रेस लक्ष्मी कुमारी महीनों स्कूल नहीं आती है और दूसरे शिक्षक विभूति कुमार को जनगणना के काम में लगाया गया है. स्कूल अक्सर बंद ही रहता है. मध्यान्ह भोजन भी यहाँ नहीं बनाया जाता है.
दूसरे स्कूल के औचक निरीक्षण में भी कहानी का प्लाट कुछ इसी तरह का था. कमल बुधनी प्राथमिक विद्यालय बेनी मंडल टोला में भी ‘स्कूल टाइम’ में ताला लटक रहा था. यहाँ भी ग्रामीणों ने बताया कि हेड मास्टर चन्दन कुमार निराला जनगणना कार्य में लगाये गए हैं और दूसरे शिक्षक कैलाश बाबू फरार ही रहते हैं. मतलब यहाँ भी चूल्हा रो रहा है और सरकार की योजना धराशाई होकर चित्त है.
अब आइए तीसरा स्कूल उत्क्रमित मध्य विद्यालय हरिद्वार टोला. बीईओ श्री यादव ने जब यहाँ का निरिक्षण किया तो यहाँ भी कुछ ठीक नहीं था. हेड मास्टर योगेन्द्र सदा हाजिरी बनाकर गायब थे, शिक्षक देवनंदन मेहता
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ये तो कुछ बानगी हैं, पूरी कहानी आपको समझ में आ रही होगी. गम्हरिया प्रखंड के आठ पंचायत में कुल 72 स्कूल हैं और शिक्षा व्यवस्था लगभग ध्वस्त है. गम्हरिया ही क्या, पूरे मधेपुरा में कमोबेश ‘मास्टर साहब’ और ‘दीदीजी’ ‘दरमाहा’ उठाने में आगे हैं. मध्यान्ह भोजन का हिसाब-किताब भी गड़बड़ है. ये आज से नहीं है और आगे भी सबकुछ सुधरने की कहीं से कोई गुंजाइश नजर नहीं आती है जबतक कि लापरवाह शिक्षकों को दण्डित करने की प्रक्रिया लगातार जारी नहीं रहेगी. वैसे गम्हरिया के बीईओ जवाहर प्रसाद यादव ने कहा कि दोषी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई होगी.
रोते चूल्हे बता रहे हैं मधेपुरा में प्राथमिक शिक्षा का हाल: मास्टर हैं मजे में
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 20, 2016
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