मधेपुरा जिले के मुरलीगंज प्रखंड के भतखोरा बाजार में दुर्गापूजा में दुर्गा मंदिर के पास लगने वाला भव्य मेला हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के लोगों के आपसी सदभाव की मिसाल है. यहाँ लगने वाला मेला हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोगों के आपसी सहयोग से लगता है.
कहा जाता जाता है कि इस मेले का उद्घाटन पहली बार कर्पूरी ठाकुर और बी.पी.मंडल ने किया था. बुजुर्गों की मानें तो कई दशक पूर्व यहाँ माँ अम्बे की कृपा से हैजा और खसरा जैसे खतरनाक रोगों पर विराम लगता था. बता दें कि आज भी माँ के दरबार में पड़ोसी देश नेपाल सहित दूरदराज इलाकों से लोग मन्नतें लेकर आते हैं. श्रद्धालु . पुराने कई लोग इसे आस्था का एक बड़ा प्रतीक मानते हैं और कहते हैं कि इस इलाके में कई दशकों पूर्व हैजा और खसरा जैसे खतरनाक संक्रामक रोग से ग्रसित लोगों की संख्यां काफी होती थी. तब स्थानीय स्वर्गीय स्वत्रंतता सेनानी डॉ. कुमोद कुमार साहा, स्वर्गीय सुरेश सिंह, राजेन्द्र सिंह ,बसंत प्रसाद गुप्ता आदि लोगों ने प्रखंड के तमौत परसा गाँव से मिटटी लाकर भतखोरा बाजार में माँ अम्बे की मंदिर स्थापित की और यहाँ के लोगों का कहना है कि इसके बाद हैजा और खसरा रोगों का स्वतः समाप्ति हुई . उस वक्त से आज तक इस क्षेत्र में हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोगों ने आपसी भाईचारा का एक मिशल कायम कर भव्य मेला का आयोजन करता रहा है जो इस ग्रामीण क्षेत्र के लिए आम चर्चा का विषय है .उस वक्त से ही हिन्दू और मुस्लिम भाइयों का आपसी सदभाव कायम है चाहे दुर्गा पूजा हो या मुहर्रम का ताजिया मेला, दोनों आपस में मिलकर शांति और सौहार्द के साथ मनाया करते हैं.
मेला कमिटी के अनिल सिंह, सुधीर सिंह, संतोष कुमार, चन्दन कुमार साहा, अंकुश कुमार, संजीव कुमार, रमेश कुमार के अलावे पैक्स अध्यक्ष विनोद यादव, बलराम कुमार , सरपंच मु.सत्तार आलम, बसंत प्रसाद गुप्ता, सेवा निवृत थानाध्यक्ष गोशाई ठाकुर, युगलकिशोर यादव आदि लोगों ने बताया कि तीन दिनों तक लगने वाले इस मेला में इसबार चुनाव के मद्देनजर रात में हीं मूर्ति विसर्जन कार्यक्रम संपन्न कर दिया जाएगा ताकि आदर्श आचार सहिंता का भी पालन हो सके.
कहा जाता जाता है कि इस मेले का उद्घाटन पहली बार कर्पूरी ठाकुर और बी.पी.मंडल ने किया था. बुजुर्गों की मानें तो कई दशक पूर्व यहाँ माँ अम्बे की कृपा से हैजा और खसरा जैसे खतरनाक रोगों पर विराम लगता था. बता दें कि आज भी माँ के दरबार में पड़ोसी देश नेपाल सहित दूरदराज इलाकों से लोग मन्नतें लेकर आते हैं. श्रद्धालु . पुराने कई लोग इसे आस्था का एक बड़ा प्रतीक मानते हैं और कहते हैं कि इस इलाके में कई दशकों पूर्व हैजा और खसरा जैसे खतरनाक संक्रामक रोग से ग्रसित लोगों की संख्यां काफी होती थी. तब स्थानीय स्वर्गीय स्वत्रंतता सेनानी डॉ. कुमोद कुमार साहा, स्वर्गीय सुरेश सिंह, राजेन्द्र सिंह ,बसंत प्रसाद गुप्ता आदि लोगों ने प्रखंड के तमौत परसा गाँव से मिटटी लाकर भतखोरा बाजार में माँ अम्बे की मंदिर स्थापित की और यहाँ के लोगों का कहना है कि इसके बाद हैजा और खसरा रोगों का स्वतः समाप्ति हुई . उस वक्त से आज तक इस क्षेत्र में हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोगों ने आपसी भाईचारा का एक मिशल कायम कर भव्य मेला का आयोजन करता रहा है जो इस ग्रामीण क्षेत्र के लिए आम चर्चा का विषय है .उस वक्त से ही हिन्दू और मुस्लिम भाइयों का आपसी सदभाव कायम है चाहे दुर्गा पूजा हो या मुहर्रम का ताजिया मेला, दोनों आपस में मिलकर शांति और सौहार्द के साथ मनाया करते हैं.
मेला कमिटी के अनिल सिंह, सुधीर सिंह, संतोष कुमार, चन्दन कुमार साहा, अंकुश कुमार, संजीव कुमार, रमेश कुमार के अलावे पैक्स अध्यक्ष विनोद यादव, बलराम कुमार , सरपंच मु.सत्तार आलम, बसंत प्रसाद गुप्ता, सेवा निवृत थानाध्यक्ष गोशाई ठाकुर, युगलकिशोर यादव आदि लोगों ने बताया कि तीन दिनों तक लगने वाले इस मेला में इसबार चुनाव के मद्देनजर रात में हीं मूर्ति विसर्जन कार्यक्रम संपन्न कर दिया जाएगा ताकि आदर्श आचार सहिंता का भी पालन हो सके.
हिन्दू-मुस्लिम सद्भाव की मिसाल है भतखोरा बाजार में लगने वाला दुर्गापूजा मेला
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 20, 2015
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