मधेपुरा नगर परिषद् क्षेत्र में गुमटी पुल के पास आज सुबह स्नान करते समय एक छात्र डूब गया. सुबह साढ़े आठ बजे छात्र के डूबने के बाद भले ही प्रशासन के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे हों, पर मधेपुरा प्रशासन की एक शर्मनाक हकीकत यह है कि छात्र को खोजने और निकालने के लिए यहाँ एनडीआरएफ की कोई टीम अभी दो बजे दिन तक नहीं पहुँच सकी है.
घटना के बारे में मिली जानकारी के अनुसार जिला मुख्यालय के सुभाष चौक के पास रहने वाले दिलीप कुमार यादव का पुत्र मानस कुमार मोनू अपने मित्रों के साथ गुमटी पुल के पास नदी में नहाने गया था. अंदाजा नहीं रहने के कारण तीन दोस्त गहरे पानी में चले गए. डूबते देख अगल-बगलके लोगों ने इन्हें बचने का प्रयास किया. बताते हैं कि भिरखी के ही निवासी बद्री यादव ने तैरकर दो अन्य दोस्तों सोनू और इमरान को तो बचा लिया गया, पर मानस का पता नहीं चल सका.
घटना की जानकारी मिलते ही लोगों की भीड़ घटना स्थल रेलवे पुलिस के पास जमा हो गई. जिला प्रशासन की ओर से अंचलाधिकारी और थानाध्यक्ष मनीष कुमार भी मौके पर पहुँच गए. पर पूरे प्रकरण में एक और शर्मनाक बात यह सामने आई कि जिला प्रशासन के पास लाश को ढूँढने की कोई तत्काल व्यवस्था नहीं थी. सीओ बेचैन तो दिखे पर बिना एनडीएआरआफ की टीम के. बताया गया कि मधेपुरा जिला के पास अपनी एनडीएआरआफ की टीम नहीं है और बाहर की टीम को सूचना भेजी गई है.
घटनास्थल पर अपने लोगों से डूबे मानस को निकलवाने के प्रयास में मौजूद व्यापार संघ के उपाध्यक्ष मो० इम्तियाज कहते हैं कि ये जिला प्रशासन के सम्बंधित अधिकारियों के लिए भी डूब मरने की बात है कि आपदा प्रभावित मधेपुरा जिले के पास न तो एनडीआरएफ की कोई टीम है और न ही अपनी अन्य किसी तरह की निजी व्यवस्था. ऐसे में प्रतीत होता है कि मधेपुरा का आपदा विभाग सिर्फ सरकार की राशि का बंदरबांट करने के लिए बना है.
उधर दशवीं कक्षा में पढने वाले बेटे मानस के मौत की आशंका से दिलीप कुमार यादव का परिवार अचेत है.
(रिपोर्ट: राजीव सिंह/महताब अहमद)
घटना के बारे में मिली जानकारी के अनुसार जिला मुख्यालय के सुभाष चौक के पास रहने वाले दिलीप कुमार यादव का पुत्र मानस कुमार मोनू अपने मित्रों के साथ गुमटी पुल के पास नदी में नहाने गया था. अंदाजा नहीं रहने के कारण तीन दोस्त गहरे पानी में चले गए. डूबते देख अगल-बगलके लोगों ने इन्हें बचने का प्रयास किया. बताते हैं कि भिरखी के ही निवासी बद्री यादव ने तैरकर दो अन्य दोस्तों सोनू और इमरान को तो बचा लिया गया, पर मानस का पता नहीं चल सका.
घटना की जानकारी मिलते ही लोगों की भीड़ घटना स्थल रेलवे पुलिस के पास जमा हो गई. जिला प्रशासन की ओर से अंचलाधिकारी और थानाध्यक्ष मनीष कुमार भी मौके पर पहुँच गए. पर पूरे प्रकरण में एक और शर्मनाक बात यह सामने आई कि जिला प्रशासन के पास लाश को ढूँढने की कोई तत्काल व्यवस्था नहीं थी. सीओ बेचैन तो दिखे पर बिना एनडीएआरआफ की टीम के. बताया गया कि मधेपुरा जिला के पास अपनी एनडीएआरआफ की टीम नहीं है और बाहर की टीम को सूचना भेजी गई है.
घटनास्थल पर अपने लोगों से डूबे मानस को निकलवाने के प्रयास में मौजूद व्यापार संघ के उपाध्यक्ष मो० इम्तियाज कहते हैं कि ये जिला प्रशासन के सम्बंधित अधिकारियों के लिए भी डूब मरने की बात है कि आपदा प्रभावित मधेपुरा जिले के पास न तो एनडीआरएफ की कोई टीम है और न ही अपनी अन्य किसी तरह की निजी व्यवस्था. ऐसे में प्रतीत होता है कि मधेपुरा का आपदा विभाग सिर्फ सरकार की राशि का बंदरबांट करने के लिए बना है.
उधर दशवीं कक्षा में पढने वाले बेटे मानस के मौत की आशंका से दिलीप कुमार यादव का परिवार अचेत है.
(रिपोर्ट: राजीव सिंह/महताब अहमद)
मधेपुरा जिला मुख्यालय में 14 वर्षीय छात्र डूबा: दोस्तों के साथ नदी में तैरने गया था
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 04, 2015
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