
बता दें कि सभी मृतक व घायल आलमनगर प्रखंड के गंगापुर के कचहरी बासा के बताये गए हैं जो इलाका अभी बाढ़ग्रस्त है और ये महिलायें अपने पशुओं का चारा दूर से ट्रैक्टर पर ला रही थी. भले ही आलमनगर में घायलों के इलाज के दौरान फिर बदनाम रहे डॉ. ए. के. मिलन के खिलाफ लापरवाही की शिकायत पाकर डीएम ने उनके खिलाफ कार्यवाही की बात कही हो, पर इन घटनाओं के जड़ में मौजूद मूल समस्याएं फिर धरी की धरी ही रह जाती है.
मधेपुरा जिले के आलमनगर, चौसा और फुलौत के कुछ इलाकों में बाढ़ हर वर्ष आता है, पर यहाँ के गरीब लोगों के लिए सरकार की योजनायें टांय-टांय फिस्स ही है. न इनके रहने का कोई स्थायी ठिकाना है और न ही बाढ़ से आई आपदा को कम करने में सरकार कहीं से सक्षम दीखती है. सूबे में महिलाओं के विकसित होने की बात कहकर सरकार अपनी पीठ थपथपाती है, गांवों में महिलाओं की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है.पशुओं के चारा के लिए घास काटने महिलाओं का इतनी दूर जाना और मौत की आगोश में सो जाना महिलाओं के तथाकथित विकास की एक अलग कहानी बयां करती है.
नीतीश बाबू, सिर्फ जनता के पैसे विज्ञापनों में पानी की तरह बहा कर बढा-चढ़ा कर विकास दिखाने से कुछ नहीं होगा. कभी कोसी की गाँवों की सड़कों से रात के आठ-नौ बजे या सुबह के चार-पांच गुजरिये. खुले में शौच के लिए बैठी और लोगों को देखकर अपनी इज्जत छुपाने का प्रयास करती महिलाओं को देखकर सारा विकास आपको समझ में आ जाएगा. क्या आपको नहीं लगता इन महिलाओं की मौत के लिए कहीं-न-कहीं से पूरी सरकार भी जिम्मेवार है?
पुरैनी हादसा: तीन महिलाओं की मौत से उपजे कई सवाल (हादसे की एक्सक्लूसिव तस्वीर)
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 05, 2015
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