भले ही हम मधेपुरा जिले के सिंहेश्वर धाम की महिमा
का गुणगान जमकर करें, पर मधेपुरा जिला मुख्यालय से महज आठ किलोमीटर होने के बावजूद
विकास में यह कोसों पीछे है.
हल्की बारिश में ही सिंहेश्वर के मुख्य बाजार की स्थिति नारकीय हो जाती है. सडक जलाशय की तरह दिखने लगता है, और नाले की सफाई नहीं होने के कारण नाले का पानी घर और दुकान में
घुस जाता है. बिहार
के गौरव बाबा सिंहेश्वर नाथ भी यही रहते हैं, उनसे
मिलने जाने वालों का ताता तो रोज ही लगा
रहता है.
पर बाबा के पास उपस्थिति दर्ज
कराने के लिए श्रद्धालुओं को
उसी नाले के पानी से अठखेलियाँ करते हुए जाना पडता है.
सिंहेश्वर
डाकघर रोड में नाला का गंदा पानी घर में घुसकर
तांडव मचाने लगा तो ग्रामीणों
ने नाला के
रूख में परिवर्तन करते
हुए सडक की ओर मोड दिया. जिससे घर वालों को तत्काल
सड़े पानी से तो निजात मिल
गया परंतु सडक पर जाने
वाले नाक पर हाथ रख कर
गुजरने को विवश हो गए. अधिकारियों एवं
नेताओं का आरामगाह आईबी के पास सड़क पर मौत
को आमंत्रण दे रहे गढ्ढे
किसी बडी घटना के इंतजार
कर रही
है, लेकिन न अधिकारी और न ही नेताओं के
ये गड्ढे दिखाई देते हैं.
बाजार से आंशिक रूप से अतिक्रमण हटने के बाद लगा कि अब बाजार
का कायाकल्प होगा. लेकिन
लगता है कि हर बरस की भांति इस बरस भी
सरकार के रहनुमाओं ने किसी दबाव में आकर शुरू
होने से पहले ही इस कार्य को समाप्त कर दिया.
बताया जाता है कि छठ
पूजा के से पूर्व जिलाधिकारी गोपाल मीणा ने घाटों के निरिक्षण के दौरान
मेन रोड की स्थित को देखकर बीडीओ अजीत कुमार को छठ पूजा से
पहले ही नाला सफाई
करने का आदेश दिया था. लेकिन बीडीओ अजीत कुमार द्वारा मनरेगा के जेई को नाला
सफाई, रिपेयरिंग और ढक्कन का
स्टीमेट तैयार करने
को कहा गया था. इस बावत पीओ
मनरेगा को कोई बार रिमाइंडर
किया गया, लेकिन कागजी घोड़े दौड़ नहीं पाए.
वहीं निजी लाभ के कई योजनाओं
की स्वीकृति
आनन फानन में तैयार हो जाती है और योजना पर काम
किस तरह का हो रहा है इसे
देखने वाला कोई नहीं है. उदहारण, गौरीपुर के हास्पीटल रोड में बन
रहे नाले में बेहद ही
घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है. नाले की सामग्री
में खुलेआम लोकल बालू का इस्तेमाल
किया जा रहा है.
लेकिन ये बातें अधिकारियों को नही दिखाई देती है और अब लोग किसी काम का विरोध करने से पहले भी सोचने की स्थिति में आ गए हैं. जिले भर में पैसे वाले कई दबंग ठेकेदारों से लड़ाई मोल लेने का खतरा उठाने से लोग बचने लगे हैं. स्थिति गंभीर है और लोगों को इन्तजार है किसी रहनुमा का, क्योंकि बाबा की चुप्पी भक्तों के समझ से बाहर है.
लेकिन ये बातें अधिकारियों को नही दिखाई देती है और अब लोग किसी काम का विरोध करने से पहले भी सोचने की स्थिति में आ गए हैं. जिले भर में पैसे वाले कई दबंग ठेकेदारों से लड़ाई मोल लेने का खतरा उठाने से लोग बचने लगे हैं. स्थिति गंभीर है और लोगों को इन्तजार है किसी रहनुमा का, क्योंकि बाबा की चुप्पी भक्तों के समझ से बाहर है.
धर्म की नगरी सिंहेश्वर बनी गंदगी और समस्याओं की नगरी
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
June 26, 2015
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