‘बनी है ये दुनियां एक रोज जाने के लिए’: मधेपुरा के प्रसिद्ध चिकित्सक और शायर डा० शमशाद के निधन से शोक की लहर
मधेपुरा के कुशल होम्योपैथिक चिकित्सक, सामाजिक
सद्भाव रखने वाले सफल चिन्तक, शायर-साहित्यानुरागी एवं कौशिकी क्षेत्र हिन्दी
साहित्य सम्मलेन के कोषाध्यक्ष डा० एस० एम० शमशाद के आकस्मिक निधन पर कौशिकी
क्षेत्र के साहित्यकारों, व्यवसायियों, बुद्धिजीवियों एवं सामाजिक सरोकारों से
जुड़े तमाम लोगों ने शोक व्यक्त किया है.
लगभग 70
वर्षीय डा० शमशाद का एक सप्ताह पूर्व प्रोस्टेट का ऑपरेशन पटना के एक प्राइवेट हॉस्पिटल
में हुआ था. कौशिकी के सचिव डॉ० मधेपुरी उन्हें देखने पटना गए थे. ऑपरेशन
सफलतापूर्वक संपन्न हुआ था. वे दो दिनों बाद मधेपुरा आने वाले थे. अस्पताल में ही
सुबह टहलने के क्रम में वे हृदयाघात के शिकार हो गए और अपनी धर्मपत्नी अख्तरी बेगम
एवं भातीज मो० आशिफ की उपस्थिति में उन्होंने दम तोड़ दिया.
आज उन्हें
मधेपुरा के कब्रिस्तान में हिन्दू-मुस्लिम प्रशंसकों की भारी उपस्थिति में दफनाया
जा रहा है. डा० शमशाद ने एक मात्र अपनी धर्मपत्नी को छोड़कर दुनियां को अलविदा कहा.
सुलझे सोच के नेकदिल इंसान डा० शमशाद को एक भी संतान नहीं थी.
कौशिकी
के संरक्षक डॉ० रवि, अध्यक्ष साहित्यकार शलभ, सचिव डॉ० मधेपुरी, अधिवक्ता
श्यामानंद गिरि, प्रो० श्यामल किशोर, डॉ० विनय चौधरी, प्रो० मुस्ताक, मो० महताब,
मयंक जी, डॉ० आलोक, राजू भैया, व्यापार संघ के अध्यक्ष योगेन्द्र प्राणसुखा, सचिव
रविन्द्र यादव आदि ने शायर डा० शमशाद की पंक्तियों को ही शोक व्यक्त करने में
अवरुद्ध कंठ से यूं गुनगुनाया—
“पीकर कौन आया है यहाँ आबेहयात,
बनी है ये
दुनियां एक रोज जाने के लिए”.
(प्रस्तुति: डॉ० भूपेन्द्र नारायण यादव ‘मधेपुरी’)
‘बनी है ये दुनियां एक रोज जाने के लिए’: मधेपुरा के प्रसिद्ध चिकित्सक और शायर डा० शमशाद के निधन से शोक की लहर
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
May 24, 2015
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