मधेपुरा में भीषण चक्रवात ने वर्ष
2008 की कुसहा त्रासदी की याद ताजा कर दी है. चक्रवातीय आंधी ने न सिर्फ घरों और
फसलों को बर्बाद किया बल्कि लाखों लोगों के सपने भी उजाड़ कर रख दिया है.
कई ऐसे गरीब परिवार
भी हैं जहाँ अपनी बेटियों की शादी भी करना मुश्किल हो रहा है. जिन्होंने बेटियों
की शादी के लिए कुछ जमा रखे थे और दरवाजे पर अपनी लाडो के ब्याह में शहनाई बजने का
सपना देखा था, अब दाने-दाने को मुहताज हैं. घर में दो वक्त की रोटी पर भी आफत आ
चुकी है अब बिटिया की शादी कैसे करेंगे.
मृतकों के परिजनों को तो सरकारी मुआवजा देने की प्रक्रिया
जिला प्रशासन ने शुरू कर दी है पर जिनके घर उजड़े या फिर जो फसलों की तबाही के मारे
हैं उनके लिए अब तक सरकारी स्तर पर कोई सहयोग व सहायता नहीं दिख रही है. प्रशासन पहले
क्षति का आकलन करेगी फिर सहायता देगी. ऐसे में गरीबों की बेटियों की शादी कैसे होगी
जिन्होंने बहुत कुछ जमा कर रखा था.
मधेपुरा जिले के मुरलीगंज
प्रखंड के कोल्हायपटी-डुमरिया गांव जहाँ लोग अपनी बेटी की दो दिन पहले शादी के लिय
ढेर सारी सामग्री जुटाकर रखा था. लेकिन अचानक आई चक्रवात तूफान ने सारे सपनों को
चूर-चूर कर तबाह व बर्बाद कर दिया अब तो घर वालों को इस बात की चिंता सता रही है
कैसे होगी बेटी की शादी और कैसे गांव में बजेगी शहनाई. बिमला देवी और हरिनंदन यादव
ने बेटी की शादी के लिए जितने सामान घर में जमा कर रखे थे वो सामान अब आंधी की भेंट
चढ चुके है. चूल्हा जलना घर में मुश्किल हो गया है तो शहनाई कैसे बजेगी. मंडप का
खाका तो तैयार है पर इसे सजाएँ तो सजाएँ कैसे? भला हो गाँव के समाज का जिन्होंने
इस मंडप से बेटी विदा करने का फैसला लेकर परिवार को थोड़ी राहत पहुंचाई है.
आज मधेपुरा के
सांसद पप्पू यादव भी विभिन्न इलाकों का दौरा कर लोगों की समस्या देख कर हैरान व भौचक
रह गये. स्थिति को देखकर सांसद ने भी चिंता व्यक्त की कि पीड़ित परिवारों के घर की
बच्चियों की डोली अब कैसे उठेगी. पर उन्होंने इन परिवारों की हरसंभव मदद करने का
भरोसा दिलाया है.
तबाही 2015: कैसे उठेगी उन घरों से डोली जहाँ आंधी ने सबकुछ कर दिया है बर्बाद
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
April 23, 2015
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