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गर्व करने लायक रही लक्ष्मण सिंह
की कार्यशैली: व्यवहार न्यायालय के अधिकाँश अधिकारी और इस बात से सहमत होंगे कि सेवानिवृति
से पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश के उपस्थापक रहे लक्ष्मण सिंह ने जिस तरह ‘कर्म ही पूजा है’ का सिद्धांत अपनाकर अपनी ड्यूटी
निभाई वो शायद बहुत कम के लिए ही संभव हो. 06 जुलाई 1984 को न्यायालय की सेवा में
आने वाले समयनिष्ठा और कर्त्तव्यपरायणता के अद्भुत मिसाल बने लक्ष्मण प्रसाद सिंह की
लेखन क्षमता और याददाश्त चकित कर देने वाला था और यही वजह रही कि अपने पूरे
कार्यकाल में उन्होंने अधिकाँश समय जिला न्यायाधीश के ही बेंच और ऑफिस की शोभा बढ़ाई.
और शायद
यही वजह रही कि जिस समय वे न्यायालय परिसर से निकल रहे थे उस समय कर्मचारियों की
बड़ी भीड़ मौजूद थी और स्वाभाविक रूप से सेवा की मिसाल कायम करने वाले इस कर्मचारी
की सेवानिवृति पर कई आँखों से आंसू छलक पड़े.
(नि० सं०)
बेमिसाल कार्यक्षमता के धनी न्यायालयकर्मी लक्ष्मण सिंह की सेवानिवृति: नम हुई आँखें
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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February 01, 2015
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