कानून के जानकार का ऐसा भी मानना है कि इन दिनों
फर्जी मुकदमों की बाढ़ सी आई हुई है. इन मुकदमों के कारण एक तो न्यायालय पर केशों
का अनावश्यक बोझ बढ़ता है दूसरी तरफ जिस पर किसी तरह के आरोप लगते हैं, उसे नाहक
परेशानी का सामना करना पड़ता है. यौन शोषण से जुड़े कई मामलों में भी अक्सर स्वार्थ
या ब्लैकमेलिंग की नीयत होती है.
मधेपुरा
में भी विगत वर्षों में अधिकारी-कर्मचारी पर इस तरह के कई मामले दर्ज कराए गए हैं, पर
अधिकाँश मामलों की तह में जाने पर सच्चाई कुछ और ही नजर आती है. किसी काम को कराने
के लिए या तो गलत आरोपों से अधिकारी-कर्मचारी को गिरफ्त में लाने के प्रयास किये
जाते हैं या फिर काम न होने पर अपनी भड़ास निकालने के लिए भी बढ़ा-चढाकर मुक़दमे कर
दिए जाते हैं. परिणाम किसी के हक में शायद ही होता है. जिन पर आरोप लगाये जाते हैं उन्हें मानसिक तथा आर्थिक परेशानी से गुजरना होता है और यदि व्यक्ति किसी सरकारी या
गैर-सरकारी कार्यालय से जुड़ा हो तो उन्हें कुछ ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़
सकता है.
न्यायालयों
में अक्सर परिवाद पत्र की शक्ल में दायर किये गए मुक़दमे बाद में तथ्य के अभाव में
साबित नहीं हो पाते हैं. मधेपुरा के एक सरकारी अधिकारी और कर्मचारी के विरूद्ध
लगाये गए आरोप से सम्बंधित परिवाद पत्र कहाँ तक सिद्ध हो पाता है ये तो वक्त ही
बताएगा, पर आरोप लगाने वाली महिला भी पूर्व से विवादित रही है, इस बात के समर्थन
में भी हमें खबर के प्रकाशन के बाद कई जानकारियाँ मिली हैं. हमारा उद्येश्य जाने-अनजाने
में गलत का साथ नहीं देते हुए पाठकों और समाज तक बेहतर खबर पहुँचाना है ताकि समाज
अच्छाइयों को अपना सके.
(ऐसी
परिस्थिति में हम पिछली खबर को संशोधित करते हुए यह कहना चाहते हैं कि यदि पिछली
खबर से किसी को कोई कष्ट पहुंचा हो तो हम क्षमाप्रार्थी हैं.)
(वि० सं०)
ब्लैकमेल की नीयत से कराए जाते हैं यौन शोषण के कई मामले दर्ज
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
February 23, 2015
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