विकास बना विनाश?: क्या नीतीश की बिजली ने ही हार का मुंह दिखाया नीतिश को?

पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सूबे के बीस हजार गाँव में बिजली पहुंचाई और इसी वजह से वे लोकसभा चुनाव में हार गए. यानि किसी सरकार के द्वारा विकास करने पर भी उनकी हार हो सकती है? आप मानें या न मानें पर कुछ ऐसा ही मानना है खुद पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का.
         सुपौल जिले के सिमराही में नीतीश कुमार ने कहा कि सूबे के 20 हजार गांवो में बिजली उन्होंने पहुँचाया तो लोग टेलीविजन देखने लगे, जिस पर मीडीया तंत्र पर हावी भाजपा का प्रचार जोर शोर से चला और बच्चे भी कहने लगे अबकी बार मोदी सरकार. हम अपनी योजनाओं की ब्राडिंग नही कर पाए. भाजपा को कनफुकवा पार्टी कहते श्री कुमार ने कहा कि वे समाज मे सदभाव बिगाडना चाहते हैं. जदयू के कार्यकर्ता समाज को समरस बनाने में जान की बाजी लगा देंगे.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार और संगठन में दूरी बढने और विरोधी द्वारा अफवाह फैलाने में सफल रहना लोकसभा के परिणाम का नतीजा रहा. थोडा संगठन पर भी ध्यान दिया होता तो परिणाम कुछ और होता. लोकसभा के परिणाम की जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया. गठबधन टूटने बाद उन्हें अंदेशा था कि परिणाम कुछ भी आ सकता है, लेकिन इसका हमें कोई गम नही है. गम इस बात की है कि संवाद ठीक से नही हो सका. जब उन्होंने सत्ता की बागडोर संभाली थी तो एक जर्जर बिहार मिला था. लेकिन आज बिहार की स्थिति आपके सामने है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र बोली से चलता है न कि गोली से. इसलिए कार्यकर्ता बोली से न चूकें.
विकास बना विनाश?: क्या नीतीश की बिजली ने ही हार का मुंह दिखाया नीतिश को? विकास बना विनाश?: क्या नीतीश की बिजली ने ही हार का मुंह दिखाया नीतिश को? Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on November 24, 2014 Rating: 5

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