|विकास आनंद|19 अक्टूबर 2014|
कोई उन्हें ‘आयरन लेडी’ कहता था तो कोई ‘मदर टेरेसा’. हर व्यक्ति को सावित्री देवी में माँ का रूप दिखता था. एक
ऐसी माँ जिसके लिए पूरा समाज ही अपना परिवार हो. पर मुरलीगंज की मदर टेरेसा सावित्री
देवी अब हमारे बीच नहीं हैं. उनके निधन से चारों तरफ शोक की लहर फ़ैल गई है.
करीब 92
साल की उम्र में मृत्यु से पहले तक कभी नर्स रही सावित्री देवी सेवाधर्म को ही
अपना सबसे बड़ा धर्म मानती रही. करीब बीस साल पहले मुरलीगंज अस्पताल की नर्स और फिर
एएनएम बनी सावित्री देवी ने भले ही नौकरी से ब अवकाश ग्रहण किया पर उसके बाद भी वह
तन-मन-धन से बिना भेदभाव के लोगों की सेवा करती रही. एक अनुभव प्राप्त महिला को
रात के बारह बजे भी किसी की तबियत खराब होने या जरूरत पर बुलाये जाने पर किसी ने
सावित्री देवी के चेहरे पर शिकन नहीं देखा. बुजुर्ग बताते हैं कि उन्होंने अपना खर्च
कर करीब छ: दशक तक लोगों की सेवा की जो एक मिसाल है. धार्मिक कार्यों में रुचि
रखने वाली सावित्री देवी ने बाद में अपने खर्च पर वार्ड नं 10 में अपने निवास के
साथ ही संतमत आश्रम की भी स्थापना की.
वर्ष
2001 में मुरलीगंज की प्रसिद्ध स्वयंसेवी संस्था ‘हेल्पलाइन’ ने उन्हें ‘मुरलीगंज की मदर टेरेसा’ कह कर सम्मानित किया था. मधेपुरा टाइम्स परिवार की ओर से
उन्हें श्रद्धांजलि.
मुरलीगंज की मदर टेरेसा सावित्री देवी नहीं रही
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 19, 2014
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