


रमजान का रोजा हर सेहतमंद
इंसान पर फर्ज है. हाँ, अगर कोई बहुत बीमार की
हालत में है तो उसपर रोजा माफ है. लेकिन सेहतमंद के ना रखने पर बहुत गुनाह. रमजान का रोजा हर 7
साल के
बच्चों पर भी फर्ज होता है. वे भी रोजा रखते है और
अल्लाह से अपने गुनाहों को माफ करने की दुआ करते है और आने वाले जिंदगी मे अच्छे कामों को करने की हिदायत मांगते
है ताकि वो अपने जिंदगी मे कोई गलत काम ना करे.
रमजान के महीने में जरूरतमंद लोगो को दान
देना भी फर्ज होता है. लोगों को अपने सालाना
कमाई का लगभग 2.5% हिस्सा देना वाजिब माना जाता है. कहा जाता है कि जो लोग दान देते हैं, अल्लाह पाक उसके दिए दान का 70 गुना ज्यादा उसे फिर दे
देते हैं. रमजान के महीने में दान देना फितरा कहलाता है, जो अंतिम रमजान के दूसरे
दिन यानि के ईद के नमाज़ के पहले तक देना वाजिब होता है.
रमजान: इबादत का सबसे पाक महीना
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 19, 2014
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