|ब्रजेश सिंह|07 जून 2014|
परसों मधेपुरा जिले के आलमनगर बाजार से सात लाख
रूपये की लूट के मामले में शक की सूई सूचना देने वाले पंचायत सचिव की तरफ ही घूमती
दिखाई दे रही है. घटना के बाद मधेपुरा के एसपी और अन्य पुलिस पदाधिकारी के द्वारा
भले ही घटना स्थल का निरीक्षण कर पंचायत सेवक महानंद यादव के आवेदन के आधार पर
अज्ञात के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कर लिया गया हो, पर घटना को जिस तरह से महानंद यादव
के द्वारा बताया जा रहा है, उस पर सहज विश्वास करना मुश्किल है.
स्थानीय
लोग तो सीधे कह रहे हैं कि इतनी बड़ी राशि बिना सुरक्षा के यदि महानंद ने निकाल भी
ली तो फिर दवा के दुकान पर जाकर वह अपनी दवा कि खरीददारी क्यों करने लगा ?
आलमनगर के बीडीओ अब्दुल खालिद ने मधेपुरा टाइम्स को बताया कि चूंकि पिछले एक वर्ष से सामजिक पेंशन की राशि का भुगतान लाभुकों के बीच नहीं हो पाया था इसलिए उन्होंने शिविर लगाकर भुगतान शुरू किया था. इसकी सूचना वरीय पदाधिकारियों को देते हुए उन्होंने राशि बहुत अधिक होने के कारण स्थानीय थाना से भी मौखिक रूप से सिक्यूरटी गार्ड की मांग की थी. इतनी राशि लेकर पंचायत सचिव को बाजार में रुक कर अपना काम करने की क्या जरूरत थी.
हालाँकि
ऐसा कहकर भले ही बीडीओ साहब अपनी छुट्टी छुडा रहे हों, पर नियम के अनुसार बैंक के
इतनी बड़ी राशि उठाव के लिए थाना से लिखित रूप में सिक्यूरिटी गार्ड माँगा जाना
चाहिए था और बिना सिक्यूरिटी के तो रूपये उठाने का सवाल ही नहीं उठना चाहिए था.
यदि
पुलिस चाहे तो इस कांड का उद्भेदन अतिशीघ्र हो सकता है, पर अभी एक बडी समस्या यह
है कि जिन गरीबों और वृद्ध व्यक्तियों को पेंशन का लाभ पेट चलाने के लिए अभी तक
मिल गया होता, उन्हें अब उनके रूपये कब मिलेंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं है.
सात लाख की लूट में शक की सूई पंचायत सेवक पर ही
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
June 07, 2014
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