जानें मधेपुरा लोकसभा का रोचक इतिहास: मधेपुरा चुनाव डायरी (16)

मधेपुरा लोकसभा का इतिहास हमेशा से ही अत्यंत रोचक रहा है और साथ ही अक्सर ये राष्ट्रीय स्तर के नेताओं का भी चुनावी क्षेत्र रहा है. इस बार जहाँ मधेपुरा लोकसभा के लिए चुनाव की तिथि 30 अप्रैल मुक़र्रर की गई है, वहीँ पहली बार मधेपुरा में जदयू, राजद और भाजपा में त्रिकोणीय संघर्ष की सम्भावना दीखती है. पहली बार ही शरद यादव और पप्पू यादव भी आमने-सामने हुए हैं. पर यह भी जानना जरूरी है कि यहाँ इतिहास में क्या हुआ और कब कौन से दिग्गज चुनावी जंग में मैदान में उतरे थे. आइये जानते हैं.

1952: भारत में हुए प्रथम आम चुनाव (1952) में मधेपुरा लोकसभा भागलपुर सह पूर्णियां संसदीय क्षेत्र का हिस्सा था. यह दो सदस्यीय क्षेत्र था और यहाँ से दो प्रतिनिधि चुने जाते थे. एक प्रतिनिधि सामान्य से तो दूसरा सुरक्षित से. प्रथम आम चुनाव में यहाँ से कांग्रेस के अनूपलाल मेहता (सामान्य) तथा सोशलिस्ट पार्टी के किराई मुसहर (सुरक्षित) निर्चाचित हुए थे. मेहता जी पर कोई अवांछित आरोप होने के कारण अदालत न्यायालय द्वारा चुनाव रद्द कर दिया गया. फिर 1955 में उपचुनाव हुए जिसमें किसान मजदूर प्रजा पार्टी के जे० बी० कृपलानी (सामान्य से ) और सोशलिस्ट पार्टी के किराई मुसहर (सुरक्षित से) निर्वाचित हुए.

1957: वर्ष 1957 में मधेपुरा, सहरसा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा था और यह उस समय भी दो सदस्यीय क्षेत्र ही था. इस चुनाव में यहाँ से कांग्रेस के ललित नारायण मिश्र (सामान्य से) तथा भोली सरदार (सुरक्षित से) निर्वाचित हुए.

1962: इस चुनाव में भी मधेपुरा, सहरसा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का ही हिस्सा था, पर इस बार यह एक सदस्यीय क्षेत्र हो गया. इस बार सोशलिस्ट पार्टी के भूपेंद्र नारायण मंडल ने कॉंग्रेस के ललित
नारायण मिश्रा को हरा दिया. पर चुनाव में भूपेंद्र नारायण मंडल द्वारा त्रिवेणी संघ (यादव-कुर्मी-कोयरी) का नारा लगाना महंगा पड़ा. ललित नारायण मिश्र द्वारा दायर चुनाव याचिका के कारन चुनाव रद्द घोषित हुआ. 1965 के चुनाव में कॉंग्रेस के लहटन चौधरी ने सोशलिस्ट के भूपेंद्र नारायण मंडल को हराया था.

1967: मधेपुरा संसदीय क्षेत्र आया अस्तित्व में: 1967 में मधेपुरा संसदीय क्षेत्र पहली बार अस्तित्व में आया और एसएसपी के बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल निर्वाचित हुए. कुछ समय बाद मुख्यमंत्री बनने के क्रम में उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया. करीब डेढ़ महीने बाद ही मुख्यमंत्री का पद चले जाने के बाद हुए उपचुनाव में बी.पी. मंडल पुन: चुनाव जीते.

1971: इस चुनाव में कॉंग्रेस के आर. पी. यादव ने एस.डी. के बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल को हराया.
1977: बीएलडी के बिन्देश्वरी प्रसाद यादव ने कॉंग्रेस के आर. पी. यादव को हराया.
1980: कॉंग्रेस के आर.पी. यादव ने अपने रिश्तेदार कॉंग्रेस के रमेंद्र  कुमार रवि को हराया.
1984: महावीर प्रसाद यादव (कांग्रेस) ने आर. पी. यादव (एस.के.) को हराया.
1989: जनता दल के रमेंद्र  कुमार रवि ने कॉंग्रेस के महावीर प्रसाद यादव को हराया.
1991: शरद यादव (जनता दल) ने आनंद मोहन (जेपी) को हराया.
1996: शरद यादव (जनता दल) ने आनंद मंडल (समता पार्टी) को हराया.
1998: लालू यादव (राजद) ने शरद यादव (जनता दल) को हराया.
1999: शरद यादव (जदयू) ने लालू यादव (राजद) को हराया.
2004: लालू यादव (राजद) ने शरद यादव (जदयू) को हराया. लेकिन इस चुनाव में लालू यादव मधेपुरा और सारण दोनों क्षेत्र से निर्वाचित हुए और उन्होंने मधेपुरा से इस्तीफ़ा दे दिया.
2004 (उपचुनाव): पप्पू यादव (राजद) ने जदयू के आर.पी. यादव को हराया.
2009: शरद यादव (जदयू) ने राजद के प्रो० रविन्द्र चरण यादव को हराया.
2014: मुकाबला 30 अप्रैल को तय है, देखना है कौन बाजी मार ले जाता है. 

[History of Madhepura Lok Sabha]

(प्रस्तुति: चन्दन कुमार, सहायक शिक्षक, उत्क्रमित उच्च विद्यालय चिकनौटवा-घैलाढ़, मधेपुरा. मो०- 8051565610)

नोट: यदि रिपोर्ट में कहीं कोई त्रुटि दिखाई दे तो हमें madhepuratimes@gmail.com पर सूचित करें, ताकि हम सुधार कर आपके सामने प्रस्तुत कर सकें. 2014 चुनाव पर आधारित मधेपुरा टाइम्स की प्रस्तुति दंगल 2014 (मधेपुरा चुनाव डायरी) पढ़ते रहें.
जानें मधेपुरा लोकसभा का रोचक इतिहास: मधेपुरा चुनाव डायरी (16) जानें मधेपुरा लोकसभा का रोचक इतिहास: मधेपुरा चुनाव डायरी (16) Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on March 27, 2014 Rating: 5

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