योग्यता: मैट्रिक फर्स्ट डिवीजन, सरकार दे रही मेधावृत्ति, पर न तो अपना विषय पता है और न ही मैट्रिक की स्पेलिंग: मुन्नाभाईयों के भरोसे मधेपुरा की शिक्षा व्यवस्था?
|मुरारी कुमार सिंह|10 फरवरी 2014|
'तुम्हारी फाइलों
में गांव में मौसम गुलाबी है,
मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है।'
अदम गोंडवी की लिखी ये
पंक्तियाँ बाक़ी जगहों पर लागू होती है या नहीं ये तो हम कम ही जानते हैं, पर
मधेपुरा के लिए ये पंक्तियाँ सटीक हैं. मधेपुरा जिले की शिक्षा दर भले
ही आंकड़ों में 52.25 फीसदी लिखा जाता हो, पर हम दावे के साथ कह सकते हैं कि ये आंकड़े
फर्जी हैं. फर्जी हैं यहाँ पढ़े लाखों लड़कों की डिग्रियां. बिना लाग-लपेट के कहें
तो कई ऐसे पीएचडी धारी भी यहाँ हैं जिन्हें ढंग से लिखना तक नहीं आता. सच कहें तो मुन्नाभाईओं
ने मधेपुरा में कईयों की नैया पार लगाईं है.
ऐसे में
आज का मामला छोटा ही कहा जा सकता है पर जान लीजिए. बी.एन. मंडल स्टेडियम में
मेधावृत्ति के लिए पहुंचे छात्रों में एक मनोज कुमार नाम का छात्र पहुंचा जिसका
नाम मैट्रिक फर्स्ट डिवीजन वालों की सूची में था. उम्रदराज दिखने वाले इस शख्स पर
अधिकारियों को शुरू में ही शक हो गया. पूछने पर जानकारी मिली कि उसने किन विषयों
से पास किया है उसे नहीं पता. मैट्रिक की स्पेलिंग तक उसे पता नहीं था और वह
फर्स्ट डिवीजन से उत्तीर्ण कर आज सरकार के दस हजार रूपये लेने पहुँच गया था. खैर,
अधिकारियों ने तो जांच के बाद ही उसे उसका चेक देने का फैसला ले लिया, पर ऐसे
मामले दर्शाते हैं कि सरकार इन्हें छात्रवृत्ति/मेधावृत्ति देकर भले ही अपनी पीठ
थपथपा ले, पर सूबे में शिक्षा की हकीकत वैसी नहीं है जैसा दावा सरकार कर रही है.
योग्यता: मैट्रिक फर्स्ट डिवीजन, सरकार दे रही मेधावृत्ति, पर न तो अपना विषय पता है और न ही मैट्रिक की स्पेलिंग: मुन्नाभाईयों के भरोसे मधेपुरा की शिक्षा व्यवस्था?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
February 10, 2014
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