मुख्यमंत्री केजरीवाल का धरना पर बैठना अराजकता है क्या ?

दिनांक 21 जनवरी 2014 को दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल का धरना पर बैठने को राजनैतिक दल और बुद्धिजीवी अराजकता वाद बता रहे हैं। ये राजनैतिक दल और नेता वहीं हैं जो संसद और विधान मंडलों को एक एक सत्र चलने नहीं देते और सत्र चलता भी है तो सत्ता और विरोधी दल के सदस्य अध्यक्ष के आदेश एवं संसद और विधान मंडलों की नियमावली की धज्जी उड़ाते हुए सभाओं के कुओं में आकर या अध्यक्ष के आसन के समीप जाकर अराजक स्थिति नहीं बनाता ? क्या यह अराजकतावाद नहीं है ?
            चुनाव में उम्मीदवार बनने से शासनाधिकारी बनने तक संविधान में आस्था और उसके अनुसार काम करने का कसम खाने के वावजूद संविधान में सभाहित समाजवाद चलाने के विपरीत पूंजीवाद और उदारवाद को चलाना और मात्र विकास की बात करना अराजकता नहीं है क्या ?
          आज देश के हर न्यायालयों में कुल मिलाकर साढ़े तीन करोड़ मुकद्मा का बर्षों से विचाराधीन रहना अराजक स्थिति पैदा करने वाला नहीं है क्या ?
संविधान में राज भाषा के रूप हिन्दी को मानने के वावजूद अँग्रजी को चलाना अराजकता वाद नहीं है क्या ?
           हर राजनैतिक दल को मान्यता प्राप्त करने हेतु संविधान, समाजवाद, पंथ निरपेक्षता, और लोकतंत्र में आस्था प्रकट करना अनिवार्य करने के वावजूद हर राजनैतिक दल द्वार इसकी धोर अवहेलना करना अराजकतावाद नहीं है क्या ?
           मातृभाषा के बदले विदेशी भाषा यानी अँग्रजी में प्राथमिक शिक्षा या अन्य शिक्षा प्रदान करना अरजाकता नहीं है क्या ?
          संविधान के अनुच्छेद 344 के मुताबिक अँग्रजी का व्यवहार कम और हिन्दी का ज्यादा और अनुच्छेद 351 के मुताबिक सरकार का हिन्दी के विकास के लिए काम करने केे विरूद्ध अँग्रजी को बढ़ावा देना और विकसित करना संवैधानिक अराजकता नहीं है क्या ?
         आम चुनाव में जाति धर्म का प्रचार नहीं कर बाकी समय राजनीतिक दलों और नेताओं द्वारा जाति और सम्प्रदाय के आधार पर दल को चलाना और चुनाव में प्रत्याशी बनाना अरजाकता नहीं है क्या ?
         हिन्दुत्ववादी आर0, एस0,एस0 का राजनीतिक अंग भाजपा के उद्धेश ‘”गाँधीवादी समाजवादको छोड़ मात्र नरेन्द्र मोदी के नाम पर वोट मँगना राजनैतिक अराजकता नहीं है क्या ?
        दिल्ली की पुलिस प्राशसन केन्द्र सरकार के पास और कानून व्यवस्था दिल्ली राज्य सरकार के पास अराजकता नहीं है क्या ?
      मीडिया द्वारा हिन्दुत्ववादी संगठन द्वारा मालेगांव, समझौता एक्सप्रेस, अजमेर शरीफ में मुस्लीम के नाम पर आतंकवादी कांड और हेमंत करकरे की हत्या उजागर नहीं होने देना और छिट फुट पाकिस्तानी मुस्लिम द्वारा आतंकवादी कारवाई को जोऱ शोर से प्रचारित करना अराजकतावाद नहीं है क्या?
      गाँधी जी ने हिन्द स्वराज्यपुस्तक में कहा है दया बल आत्म बल है, सत्याग्रह है। और इस बल के प्रमाण पग-पग पर दिखाई देते है। अगर यह बल नहीं होता, तो पृथ्वी रसातल में पहुँच गई होती।डा0 लोहिया ने भी कहा है जनशक्ति और कानून दोनों का जोड़ होता तब परिवर्तन और क्रांन्तियाँ हुआ करती है। आज केवल कानून अछुतों के संबंध में किताबों में लिखा हुआ है। जनशक्ति नहीं जुड़ी है। अच्छे से अच्छे कानून बनाने के बाद कानून को अमल में लाने की अगर शक्ति नहीं रहती जनता में, वह कानून बेकार हो जाया करता है।इन दोनों महापुरूषों की उक्ति के अधार पर दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल का घरना पर बैठना अराजकतावाद नहीं आत्मबल और जनशक्ति को बढाना है।
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)



राधाकांत यादव
मधेपुरा
मुख्यमंत्री केजरीवाल का धरना पर बैठना अराजकता है क्या ? मुख्यमंत्री केजरीवाल का धरना पर बैठना अराजकता है क्या ? Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on January 25, 2014 Rating: 5

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