राजनीति के छोटे कार्यकर्त्ता : पहचानिए इन्हें भी

राजनीति में किसी भी पार्टी या व्यक्ति विशेष के लिए सबसे अधिक मेहनत और कुर्बानी देने वाले होते हैं उनके कार्यकर्त्ता अथवा जमीनी स्तर के सहयोगी। जिन कार्यकर्ताओं के नेता चुनाव में जीत गए उनकी तो थोड़ी बहुत इज्ज़त और ख़ुशी बरक़रार रह जाती है लेकिन जिन कार्यकर्ताओं के लीडर हार गए उनकी तो समझो वाट लग गई। चुनाव के कुछ दिनों तक तो ऐसे समर्पित कार्यकर्ताओं का घर से निकलना भी एक  जंग पे निकलने जैसा होता है।कुछ लोग तो इतने व्यंग के रूप में इनसे बातें करते हैं जैसे कहीं से ये अपना  मुंह काला करवाकर आये हों, और एक इनके नेता होते हैं जो इन्हें इनकी हालत पर छोड़कर अपने अगले धंधे को आगे बढ़ाने में आगे बढ़ जाते हैं अगले चुनाव के मौसम आने तक। हालाँकि कुछ ऐसे रगरघसी कार्यकर्त्ता भी होते हैं जिन्हें अपने नेता की हार से कोई फर्क नहीं परता है और अपने प्रिय नेता के बचाव में हारने के कारणों को साजिश और बदले की भावना का शिकार हुए बताते उग्र हो जाते हैं।इन सब में सबसे बुरी मनोदशा उन व्यक्ति विशेष समर्पित कार्यकर्ताओं की होती है जिनके आदर्श नेता मौका पा कर दल बदल लेने में विश्वाश रखते हैं।इन नेताओं के जमीनी कार्यकर्ताओं को चुनाव से पहले भी और चुनाव के बाद भी कुंठा से ही पीड़ित रहना पड़ता है।
       चुनाव जब तक बिलकुल सर पर ना आ जाये ये नेता अपनी करवट किसी को नहीं बताते हैं बस कभी-कभी इशारों में चर्चित सभी पार्टियों में अपनी पकड़ बनाने की फ़िराक तलाशते रहते हैं।इन जैसे नेताओं के अडिग कार्यकर्त्ता जिनकी अपनी भावनाएं एवं शक्ति भी होती है वो बड़े पेशोपेश में लटक जाते हैं। ये अपने आत्मिक प्रिय पार्टी को भी खुल कर समर्थन नहीं कर पाते हैं और अपने नेता के अगले विचार को भी जनता के आगे परोस नहीं पाते हैं।इन्हें लगता है अगर अपने किसी प्रिय पार्टी के लिए काम करूँगा भी तो अचानक से मेरे नेता जी का आदेश आएगा की आमूक पार्टी के लिए आपलोगों को काम करना है और फिर सबकुछ धरा ही रह जायेगा। बड़े उधेर-बुन में फंसे रहते है ये कुछ महीने।बड़े मिली-जुली अंदाज में बयानबाजी करते हैं और किसी तरह अपने स्वाभिमान और अपने नेता का बचाव करते हुए तालमात्रा में लगे रहते हैं। चुनाव के मौसम में लोग इन कार्यकर्ताओं से इनके नेताजी  के प्रोग्राम के विषय में बहुत सारी जानकारियां चाहते है लेकिन इन बेचारों को खुद भी कोई जानकारी नहीं होती है अपने प्रिय नेता के अगले दावपेंच के बारे में तो ऐसे में इनका बस मजबुरी में एक हीं जवाब होता है - वक़्त आने दीजिये अच्छे संभावनाओं के तलाश में हैं।
   अगर यहाँ हम व्यंग के रूप में ना देखे तो सचमुच में किसी भी राजनितिक पार्टी या व्यक्तिगत नेता के लिए उनके कार्यकर्त्ता हीं सही मायने में उनके राजनीति नैया के खेवनहार होते हैं । ये अपने लगन मेहनत और समर्पित भावना से अपने चहेते नेता के लिए दिन रात मेहनत करते है, इस दौरान कभी-कभी बड़े संकट में भी पर जाते हैं और अपनी निजी जिन्दगी और भावनाओं को भी बगल रख देते हैं।लेकिन जब कुछ मतलबी नेता अपने इस बड़े से कार्य को अंजाम देने वाले छोटे कार्यकर्त्ता की भावनाओं को भूल जाते हैं और उनकी मनोदशा से सरोकार नहीं रखती है तो उन नेताओं की नैया भी बीच भंवर में निश्चित रूप से डूब जाती है।
और अंत में - नेताओं को याद रखना चाहिए की जैसा रिश्ता और सरोकार वो अपने कार्यकर्ताओं के साथ रखेंगे वैसा ही छवि जनता में अपने लिए पायेंगे।
(ये लेखक के निजी विचार हैं)


अमित सिंह मोनी
मधेपुरा.

राजनीति के छोटे कार्यकर्त्ता : पहचानिए इन्हें भी राजनीति के छोटे कार्यकर्त्ता : पहचानिए इन्हें भी Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on December 10, 2013 Rating: 5

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