|वि० सं०|25 दिसंबर 2013|
मधेपुरा जिले में गाँव की संख्यां लगभग 440 हैं. पर इनमें
से आधे से भी अधिक अबतक मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं, भले ही सूबे की सरकार नगाड़े
बजा-बजाकर अपने विकास का दावा ठोंक रहे हों. मंत्रियों के क्षेत्र में भी ढेर सारे
गांव की स्थिति ऐसी बनी हुई है मानो यहाँ आदिम जाति के लोग रह रहे हों.
जिले
में उदाकिशुनगंज अनुमंडल के गाँवों की स्थिति तो खस्ताहाल है ही, मधेपुरा अनुमंडल
के भी अधिकाँश गाँव विकास की बाट जोह रहे हैं. कुमारखंड प्रखंड में दर्जनों गाँव
ऐसे हैं जिनमें जाने के लिए जो रास्ता बना हुआ है उसे सड़क कहना मुश्किल होगा. ऐसी
ही एक सड़क है कुमारखंड से इसराइन कला जोरावरगंज की सड़क. 12.17 किलोमीटर लम्बाई की
इस सड़क की हालत कई दशकों से इतनी खराब है कि इस सड़क के चक्कर में कई लोग मौत का भी
शिकार हो चुके हैं. हाल में ही इंजीनियरिंग की तैयारी करा रहा एक छात्र इसी सड़क
में संतुलन खोकर पानी में गिरकर डूब गया जिससे उसकी मौत हो गई. इससे पूर्व भी इस सड़क में कई दुर्घटनाएं टूटी सड़क की वजह से हो चुकी हैं.
हालांकि
कई दशक बाद इलाके के जनप्रतिनिधि कुम्भकरण की नींद से जागे और 19 अप्रैल 2013 को
इस सडक निर्माण का शिलान्यास कर दिया. सुपौल के सांसद विश्वमोहन मंडल और विधायक
रमेश ऋषिदेव का नाम तो शिलान्यास पट पर अंकित हो गया पर 29 मार्च 2013 को शुरू हुए
इस काम को 28 सितम्बर 2014 को पूरा हो जाना है. लेकिन काम की रफ़्तार कछुए की गति
से है और नौ महीने बीतने को है पर काम एक चौथाई भी नहीं दिख रहा है. 828 लाख 80
हजार की लगत से बन रहे इस सड़क के अगले नौ महीने में पूरा होने के कहीं से आसार
नहीं दिख रहे हैं.
हालात
यह है कि इस सड़क से जुड़े दर्जनों गाँव विकास से कोसों दूर हैं. मंत्री और
जनप्रतिनिधि अपने सुख-मौज की तलाश में हैं, भले ही इलाके की जनता कष्ट झेलने को
विवश हों.
उपेक्षा का दंश झेल रहे कुमारखंड प्रखंड के दर्जनों गाँव
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 26, 2013
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