कैमूर के जिलाधिकारी अरविन्द कुमार सिंह ने बेहतर पहल की है। दूसरे भी
अनुकरण करें, तो अच्छा रहेगा।
पेट्रोल और डालर की बढ़ती कीमत से आम भारतीयों की भांति चिंतित जिलाधिकारी ने
पिछले कई दिनों से कोठी से दफ्तर पैदल जाना शुरु किया है । करीब तीन
किलोमीटर का फासला है। जल्दी होने पर साइकिल भी चला लेते हैं। वे कहते हैं, न सिर्फ पेट्रोल की बचत कर रहा हूं, बल्कि सेहत भी सुधर रही है। पैदल चलकर
समस्याओं को भी आप करीब से देखते हैं। इस छोटे प्रयास ने
कैमूर के दूसरे हाकिमों को भी जगाया है ।
जिलाधिकारी श्री सिंह ने दूसरे मातहतों से भी कहा है कि वे घर से कार्यालय आने को सरकारी वाहन का इस्तेमाल न करें. जरुरत हो, तो सार्वजनिक वाहनों की सवारी करें। हां, सुदूर क्षेत्रों में सरकारी कार्यों के निष्पादन में वाहन प्रयोग वर्जित नहीं है। वे मानते हैं कि अंतर्मन को जगा कर देशहित में बड़ी बचत की जा सकती है। जिलाधिकारी को सड़कों पर पैदल चलता देख लोगों को अच्छा लग रहा है। भभुआ की एसडीपीओ निर्मला कुमारी ने भी दफ्तर पैदल जाना प्रारंभ किया है जेनरेटर के प्रयोग में भी संयम बरतने की कोशिश जिलाधिकारी कर रहे हैं। बहुत आवश्यक होने पर ही जेनरेटर चलाने को कहा जा रहा है। यह सुनिश्चित कर दिया गया है कि लंच टाइम में जेनरेटर का प्रयोग बिलकुल नहीं होगा ।
जिलाधिकारी श्री सिंह ने दूसरे मातहतों से भी कहा है कि वे घर से कार्यालय आने को सरकारी वाहन का इस्तेमाल न करें. जरुरत हो, तो सार्वजनिक वाहनों की सवारी करें। हां, सुदूर क्षेत्रों में सरकारी कार्यों के निष्पादन में वाहन प्रयोग वर्जित नहीं है। वे मानते हैं कि अंतर्मन को जगा कर देशहित में बड़ी बचत की जा सकती है। जिलाधिकारी को सड़कों पर पैदल चलता देख लोगों को अच्छा लग रहा है। भभुआ की एसडीपीओ निर्मला कुमारी ने भी दफ्तर पैदल जाना प्रारंभ किया है जेनरेटर के प्रयोग में भी संयम बरतने की कोशिश जिलाधिकारी कर रहे हैं। बहुत आवश्यक होने पर ही जेनरेटर चलाने को कहा जा रहा है। यह सुनिश्चित कर दिया गया है कि लंच टाइम में जेनरेटर का प्रयोग बिलकुल नहीं होगा ।
ज्ञानेश्वर वात्सायन, पटना
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
बिहार के एक जिलाधिकारी की बेहतर पहल
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 06, 2013
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