अधिकारी रंगारंग कार्यक्रम में, स्व० बी.पी. मंडल की प्रतिमा अँधेरे में

 |राजीव रंजन|26 अगस्त 2013|
राजकीय सम्मान के साथ मनाये जाने वाले बी.पी.मंडल की जयंती के अवसर पर भी मधेपुरा के बी.पी. मंडल चौक पर अवस्थित गरीबों, पिछडों और दलितों के मसीहा स्व० बी.पी. मंडल की प्रतिमा के पास कोई एक दीया जलाने वाला भी नहीं हुआ. दूसरी तरफ जब स्व० बी.पी.मंडल की प्रतिमा अँधेरे में पहचान के संकट का दंश झेल रही थी तो उस समय जिले के कई बड़े अधिकारी बी.एन.मंडल स्टेडियम में बैठकर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का मजा ले रहे थे.
      उधर रविवार को दिन में मुरहो में हुए समारोह में कुछ बुजुर्गों को यह कहते सुना गया कि यहाँ तो डॉक्टर साहब (डा० ए.के.मंडल) के द्वारा ही लोगों के स्वागत और खान-पान की व्यवस्था रहती है. वर्ना लोग पानी के लिए भी तरस जाएँ.
      यहाँ सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब प्रशासन के बड़े अधिकारी या स्व० बी.पी.मंडल के आदर्शों को अनुकरणीय बताने वाले अन्य लोग, जयन्ती पर भाषणबाजी कर अपने कर्तव्य की इतिश्री मान लें तो गरीबों-दलितों-पिछड़ों के मसीहा स्व० बी०पी० मंडल के सपने कभी साकार नहीं हो सकते.    
      दिन में कार्यक्रम में सक्रियता दिखाना और शाम में उन्ही की जयन्ती के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के आनंद लेने वाले अधिकारियों को क्या नहीं चाहिए था कि कम से कम इस दिन भी प्रतिमा स्थल को अँधेरे से निजात दिलाते ?
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