आओ खेलें घोषणा-घोषणा: क्या राजनेता वायदे बिसार देने को करते हैं?

|सहरसा से प्रवीण गोविन्द की रिपोर्ट|
आगे से ऐसी नौबत नहीं आए इसकी हम तैयारी करेंगे और सभी गांव में सबसे ऊंचा आश्रय स्थल सामुदायिक भवन बनवाएंगे ताकि विपत्ति के समय लोगों को आश्रय मिल सके.  उक्त वादा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुसहा टूटने के बाद सुपौल जिले के उच्च विद्यालय, छातापुर में महती सभा को सम्बोधित करते हुए किया था. दिन था शनिवार का और तिथि थी 28 फरवरी 2009. 15 अगस्त 2007 को भी पटना के गांधी मैदान में बाढ़ का स्थायी निदान करने की मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी. एक  बार फिर जब कोसी फुफकार मार रही है तो कोसीवासियों की जुबान पर एक ही सवाल है- क्या राजनेता वायदे बिसार देने के लिए करते हैं?
      खैर, 18 अगस्त 2008 को कुसहा टूटा. बड़े-बड़े वादे किए गए. कुछ वादों पर अमल भी हुआ. लेकिन आज की तारीख में भी सभी गांवों में आश्रय स्थल का निर्माण नहीं हो सका है. बाढ़ का स्थायी समाधान की बात ही छोडि़ए, आज भी बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो पुनर्वास से वंचित हैं. मुख्यमंत्री के लगमा, सहरसा आगमन पर भी क्षेत्रीय विधायक रत्नेश सादा ने अपने सम्बोधन के क्रम में मुख्यमंत्री का इस दिशा में ध्यान आकृष्ट किया था. बहरहाल, आज की तारीख में अगर कोसी उग्र हुई और इसके तटबंध पर आक्रमण हुआ तो फिर यहां के बाशिदें आशियाने की तलाश में इस बार भी दर-दर की ठोकरें खाएंगे. एक बार फिर बाढ़ दस्तक  दे रही है. यहां के लोग दहशत के साए में हैं. सो, सवालों का उठना और मथना वाजिब ही है. जो भी हो अगर वादों पर अमल हुआ होता तो आज कोसी की तकदीर व तस्वीर अलग रहती. वैसे, बीरबल की खिचड़ी खाते और आश्वासनों की घुट्टी पीते अब लोगबाग आजिज आ चुके हैं. कुल मिलाकर, आखिर कबतक  यहां के भोले-भाले लोग यह गीत- वादे पे तेरे मारा गया, बंदा मैं सीधा-साधा, वादा तेरा वादा... गाते रहेंगे.
(श्री गोविन्द दैनिक भास्कर से जुड़े हुए हैं.)
आओ खेलें घोषणा-घोषणा: क्या राजनेता वायदे बिसार देने को करते हैं? आओ खेलें घोषणा-घोषणा: क्या राजनेता वायदे बिसार देने को करते हैं? Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on June 07, 2013 Rating: 5

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