|वि० सं०|19 जून 2013|
“शोधलक नरैना तीनों घरैना”- कोशी में प्रचलित यह कहावत इस मामले में सटीक बैठता नजर आ
रहा है.
कहते हैं ठगी करने वाले आपने बाप
को भी नहीं छोड़ते है. और मधेपुरा न्यायालय के एक मामले में बाप-बेटे की मिलीभगत से
धोखाधड़ी का प्रयास एक युवक को महंगा पड़ गया और न्यायालय ने जहाँ उस शख्स को जेल
भेजा वहीं पूर्व से अभियुक्त रहे उसके पिता की जमानत भी रद्द कर दी गई और दोषी पाए
गए सभी तीनों को जेल की हवा खानी पड़ रही है.
मामला मधेपुरा के एक न्यायिक
दंडाधिकारी के न्यायालय में लंबित एक मामले से
सम्बंधित है. केश गवाही के लिए मुकर्रर था और गवाह राजू कुमार गवाही के लिए तैयार
था. मुक़दमे के अभियुक्तों को आवाज लगाई गई और इस मुक़दमे में नामजद सभी नौ अभियुक्त
उपस्थित हुए. उसी समय गवाह राजू ने सूचित किया कि खड़े व्यक्तियों में से निर्मल
यादव की जगह निर्मल यादव बनकर सुजीत यादव खड़ा है. बस क्या था ? न्यायालय ने उस
नकली शख्स समेत साथ खड़े पिता और एक अन्य को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
धोखाधड़ी के दोषी अभियुक्त निरंजन यादव, महंथी मंडल और सुजीत कुमार
के विरूद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 205 और 120(बी) के तहत अलग से एक मुकदमा भी
दर्ज हुआ.
न्यायालय की आँखों में धूल झोंकने के प्रयास में बाप-बेटे समेत तीन अंदर
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
June 19, 2013
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