बानगी
1: समाहरणालय परिसर में सदर थाना की मोबाइल जीप फंस जाती है. वही मोबाइल जीप जो
अपराधियों को खोजने और डराने इलाके में निकला करती है. फंसी जीप को निकालने आम
लोगों की मदद लेती है पुलिस. किसी तरह जीप निकाला जाता है और वहाँ नजर आती है
हांफती पुलिस.
बानगी
2: दरभंगा प्रक्षेत्र के आईजी जे.एस.गंगवार मधेपुरा के दौरे पर रहते हैं. विधि व्यवस्था
को देख रहे डीएसपी होम द्वारिका पाल की जीप अचानक खराब हो जाती है और उन्हें पैदल
ही सड़क पर चलकर सबकुछ संभालना पड़ता है. ये पहला मौका नहीं था जब डीएसपी की जीप ड्यूटी के दौरान खराब हुई हो.
यही
नहीं सड़कों पर चलते कई बार आपको ऐसे पुलिस जीप नजर आ जायेंगे जो ‘टोचन तकनीक’ से गैरेज तक पहुंचाए जाते हैं.
स्थिति
सामान्य हो तो ऐसे मामले सामान्य से दीख सकते हैं. पर कल्पना कीजिए अपराधियों से
मुठभेड़ के दौरान अचानक ये पुलिस जीपें खराब हो जाती है. आगे का अंजाम सोचकर शायद लोग
सिहर जाएँ.
जाहिर
सी बात है दावों के पीछे का सच मधेपुरा पुलिस के मामले में कुछ और ही दिखता है.
संसाधन से जूझती मधेपुरा पुलिस: कैसे करे अपराध नियंत्रण ?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
February 23, 2013
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