राकेश सिंह/21/11/2012
‘न उम्र की सीमा हो न जन्म का हो बंधन’ और पोलैंड की इस्मेना कारकोस्का
ने नई रीत चलाकर ये दिखा दिया कि मुहब्बत सरहदों की दीवार को नहीं मानती. आज
मधेपुरा के अंशु रस्तोगी और पोलैंड की इस्मेना कारकोस्का की शादी के किस्से हर
जुबान पर हैं. मधेपुरा के बाजार की बात हो या छठ के घाट की, विदेशी लड़की जो अब
मधेपुरा की बहू बन चुकी है, को देख आश्चर्यचकित होने वालों की कमी नही है.
अंशु-इस्मेना
का परिणय सूत्र में बंधना जहाँ दुनियां के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे दो परिवारों को खुशियाँ दे गया वहीं नव दम्पति अपनी
खुशियाँ संभाल नहीं पा रहे हैं. एक दूसरे को जानने में दोनों ने अच्छा ख़ासा वक्त
लिया और फिर लिया ये निर्णय कि दोनों एक-दूसरे को खुश रख सकते हैं ताउम्र जहाँ न
कोई सामजिक बंधन होगा और न ही कोई जन्म का बंधन. जाति-पाति, देश-सम्प्रदाय के बंधन
को तोड़ कर अंशु-इस्मेना ने रूढ़िवादी समाज को एक नया सन्देश दिया है. मार्च 2010
में ओलोमोस (चेक गणराज्य) में हुई दोनों की पहली मुलाक़ात के बाद एक-दूसरे को समझने
में करीब ढाई साल लगे और फिर इस बार अंशु के साथ भारत घूमने आई इस्मेना इसी 15
नवंबर को अंशु के साथ सिंघेश्वर मंदिर में परिणयसूत्र में बंध गयी. घरवाले भी
इस्मेना जैसी सुन्दर और बेटे का इतना ध्यान रखने वाली बहू को पाकर फूले नहीं समा
रहे हैं. विदेशी बहू के आने की खुशी में आज सारा परिवार बहूभोज की तैयारी में
व्यस्त है.
अंशु
और इस्मेना मधेपुरा टाइम्स को अपनी पहली मुलाक़ात से लेकर परिणय सूत्र में बंधने की
पूरी कहानी सुनाते हैं. 09 अगस्त 1983 को जन्मे अंशु ने मैट्रिक मधेपुरा के
रासबिहारी हाई स्कूल से वर्ष 1998 में की और इंदौर से वर्ष 2008 में एम.एससी. करने
के बाद बायो-फिजिक्स में पीएचडी करने चेक रिपब्लिक के ओलोमास गए जहाँ एक मित्र के
घर मार्च 2010 में अंशु की मुलाक़ात पोलैंड के द्रोमब्रोबा ग्रोनीचा की लड़की
इस्मेना कारकोस्का से हुई. अंशु जब मित्र के घर पहुंचा था तो घर का दरवाजा इस्मेना
ने ही खोला था. पर दोनों बताते हैं कि पहली नजर में प्यार जैसा कुछ भी नहीं हुआ
था. पर मुलाकातों का सिलसिला जब बढ़ा तो दोनों एक-दूसरे के करीब आते गए. सितम्बर
2010 में दोनों करीब सप्ताह भर के लिए घूमने वियना गए जहाँ इन्हें लगा कि वे
एक-दूजे का ख़याल बेहतर ढंग से रख सकते हैं. तब से सप्ताहांत में दोनों मिलते रहे.
जब 25 अप्रैल 2011 को अंशु ने इस्मेना के सामने शादी का प्रस्ताव रखा तो मानो
इस्मेना भी इसी का इन्तजार कर रही थी.
इस
बार अंशु के साथ भारत घूमने आयी इस्मेना को आते वक्त पता नहीं था कि मधेपुरा आकर
वह सदा के लिए अंशु की होकर रह जायेगी. अंशु के घरवालों को इस्मेना पसंद हुई तो इसी
14 नवंबर की शाम सबों ने अंशु-इस्मेना के परिणय की तैयारी की और फिर 15 नवंबर को सिंघेश्वर स्थान
में भारतीय रीति-रिवाज के अनुसार पोलैंड की बाला इस्मेना और मधेपुरा के अंशु सदा
के लिए एक हो गए.
चेक
रिपब्लिक के प्राग में एकेडमी ऑफ साइंस में नौकरी कर रहे फोटोग्राफी के शौकीन अंशु
और सात समंदर पार की 01 सितम्बर 1988 को जन्मी और इसी साल साइकोलॉजी में मास्टर डिग्री
हासिल की हुई इस्मेना का विवाह उस रूढ़िवादी समाज के लिए एक चुनौती है जो अपने
बेटे-बेटियों का विवाह अपनी ही जाति में गोत्र देखकर और कुंडली मिलान कर तो करते
हैं पर कई परस्थितियों में फिर भी विवाह बिखर कर रह जाता है.
सरहद पार हुआ प्यार: पोलैंड की इस्मेना और मधेपुरा के अंशु हुए एक
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 21, 2012
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मुहब्बत सरहदों की दीवार को नहीं मानती.....वाह क्या खूब कहा है. शानदार प्रस्तुति.
ReplyDeletebaho achhe
ReplyDeleteदेखा जाय तो इसमें इन दोनों का कोइ कसूर नहीं है,मैंने बचपन में पढ़ा था अगर इंसान को एक बंद कमरे भी छोड़ दिया जाय तो उसका दिल फिर भी KISI KAA HO JAATA है.
ReplyDeleteDEVKI NANADAN SINGH . SG@GMAIL .COM
देखा जाय तो इसमें इन दोनों का कोइ कसूर नहीं है,मैंने बचपन में पढ़ा था अगर इंसान को एक बंद कमरे भी छोड़ दिया जाय तो उसका दिल फिर भी KISI KAA HO JAATA है.
ReplyDeleteDEVKI NANADAN SINGH . SG@GMAIL .COM
इन दोनों पर फिल्म वीर जार का वो गाना सटीक बैठता है जानम देखा लो मिट गई दूरियां मैं यहाँ हूँ.... कैसी सरहदे कैसी मजबूरियां मैं यहाँ हूँ .....
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