देह व्यापार के खिलाफ जंग के नायक

पंकज भारतीय अररिया से लौटकर/10 सितम्बर 2012
हमने एक शाम चिरागों से सजा रखी है,
शर्त लोगों ने हवाओं से लगा रखी है.
          कुछ ऐसे ही दृढ इच्छाशक्ति और फौलादी जज्बे के साथ फारबीसगंज निवासी मो० अब्दुल कलाम ने देह व्यापार और ट्रैफिकिंग के खिलाफ जंग का एलान कर रखा है. फारबीसगंज की बदनाम गली खवासपुर में पैदा हुए कलाम की जिंदगी संघर्ष की बुनियाद से शुरू हुई और आज एक मिसाल के तौर पर जाना जा रहा है.
     मो० कलाम की निजी जिंदगी किसी फिल्मी पटकथा सरीखी लगती है.खवासपुर की बदनाम गली में आँखें खुली तो अधिक दिनों तक माँ का आँचल भी नसीब नहीं हुआ. लालन-पालन की जिम्मेवारी बड़ी बहन कुरैशा खातून ने संभाली. खुद देह व्यापार के दलदल में रहकर बहन ने भाई मो० कलाम को स्कूल की चौखट तक पहुंचाया. इस अप्रत्याशित काम में बड़ी बहन की मदद छोटी बहन ने भी की. अप्रत्याशित इसलिए कि अबतक इस मुहल्ले से कोई भी स्कूल की दहलीज तक नहीं पहुंचा था.
मो० कलाम पत्नी-बहन-बच्चे के साथ 
      मो० कलाम नट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. बहन कुरैशा की मेहनत रंग लाई और आज मो० कलाम सिविल कोर्ट में एडवोकेट हैं. मो० कलाम अपने समुदाय के पहले ग्रेजुएट और पहले लॉ ग्रेजुएट हैं. कलाम ने देह व्यापार की गलीच जिंदगी को करीब से महसूस किया था. शायद यही वजह रही कि कलाम ने व्यक्तिगत कैरियर को ताक पर रख कर एनजीओ अपने आप के साथ जुड़कर देह व्यापार और ट्रैफिकिंग के खिलाफ अभियान से जुड़ना बेहतर समझा. बकौल कलाम मुझे इसी बात में खुद की सार्थकता नजर आई कि मैं यहाँ बेटियों को बिकने से बचाऊं.
     मो० कलम की कवायद रंग लाने लगी है.खवासपुर में देह व्यापार का लगभग खात्मा हो चुका है. रामपुर के बदनाम इलाके में कलाम का अभियान जारी है. देह व्यापार और ट्रैफिकिंग के खिलाफ यहाँ महिला मंडल सक्रिय है. कलम की देख-रेख में एनजीओ अपने आप द्वारा यहाँ स्कूल संचालित हो रहा है जहाँ 70-80 बच्चे शिक्षा पा रहे हैं. इस मुहल्ले की कई बेटियां गलीच हलचल से दूर कस्तूरबा स्कूलों में शिक्षा पा रही है.
     लेकिन कलाम के लिए सबकुछ आसान नहीं है.प्रेम-विवाह से कलाम को अपनाने वाली पत्नी नीतू सिंह कहती है, अक्सर धमकियाँ मिलती हैं, मैं भयभीत रहती हूँ कि पता नहीं क्या होगा. नीतू की चिंता के कारण वाजिब हैं. कलाम पर पूर्व में जानलेवा हमले हो चुके हैं तो 1 जून को कलाम को अररिया पुलिस ट्रैफिकिंग में शामिल होने के आरोप में जेल भी भेज चुकी है. यह अररिया पुलिस की मानसिक विकलांगता को ही दर्शाता है कि ट्रैफिकिंग के खिलाफ जंग छेड़ रखने वाला शख्स, UNODC (यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग एंड क्राइम) के रिसोर्स पर्सन को उसी आरोप में जेल भेजा जाता है जिसके खिलाफ अभियान के लिए उसे जाना जाता है.
     बहरहाल, जेल से वापसी के बाद भी मो० कलाम के तेवर यथावत हैं.इसकी वजह साफ़ है कि कलाम के प्रयास से फारबिसगंज के रेड लाईट एरिया में फिजा बदली-बदली सी नजर आ रही है. बकौल पूर्व सेक्स वर्कर रूखसार खातून बहुत बदलाव आया है.गलीच जिंदगी छोड़ बाहर आ गए हैं. बदलाव दिख रहे हैं लेकिन लड़ाई अभी बाक़ी है. शायद इस इलाके को कलाम जैसे शख्स की अभी और जरूरत है.
देह व्यापार के खिलाफ जंग के नायक देह व्यापार के खिलाफ जंग के नायक Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on September 10, 2012 Rating: 5

4 comments:

  1. समाज सुधार समाचार के माध्यम से मधेपुरा टाइम्स की आधारभूत सोच प्रतीत होती है !संपादक मंडल को कोटि -कोटि धन्यवाद !

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  2. Very important social reforms such news is so little time in which to achieve Madhepura Taims the stage that takes years to get it! Madhepura Times Thanks/brajendra yadav

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  3. یہ خبر نہیں سماجی اصلاح کی انقلاب ہے! مدھے پورا ٹائمز کو مبارک ہو

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  4. team ko kadi mehnat kar khabar ikhathha karne ke liye dhnyawad

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