रूद्र ना० यादव/05 सितम्बर 2012
कहते हैं कि अधिकार से पहले कर्तव्य होना चाहिए और इसी
तर्ज पर पीडितों के हुजूर यानि सूबे के मुख्यमंत्री ने पहले सेवा यात्रा के तहत सूबे
का दौरा किया और अब ‘अधिकार
यात्रा’ के कार्यक्रम तय हो चुके
हैं.पदाधिकारियों के दिल की धडकनें तेज हो चुकी हैं कि अधिकार यात्रा के दौरान कहीं
किसी पर मुखिया की गाज न गिर जाए.
जिले की जनता
को पटाने के कार्यक्रम भी अधिकारियों द्वारा चलाये जा रहे हैं और इसी कार्यक्रम की
एक कड़ी है प्रखंड स्तर पर जनता दरबार.राज्य सरकार ने पूर्व में ही अनुमंडल, प्रखंड
और थाना के स्तर पर जनता दरबार लगाने के निर्देश दिए थे ताकि पीडितों को जिला मुख्यालय,
कमिश्नरी और राजधानी के चक्कर न लगाने पड़े.पर अधिकारियों ने सरकार के निर्देश को तरजीह
नहीं दी और जिला स्तर पर जनता दरबार लगाकर खानापूर्ति करते रहे.मालूम हो कि जिलाधिकारी
तक के जनता दरबार में कई पीडितों को कई बार आना पड़ता है. निचले अधिकारी को मिले निर्देश
कई बार इन अधिकारियों द्वारा पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिए जाते हैं, कारण साफ़ है जिले
के कई अधिकारी घूसखोरी में आकंठ डूबे हैं और जनता जब तक समस्या में नहीं फंसी रहेगी,
तब तक ऐसे अधिकारियों की जेबें कैसे गर्म होंगी ? पर अब जब इसी 28 सितम्बर को ‘हूजूर’ के आने की घोषणा हो चुकी है तो अधिकारी
अब खानापूर्ति से थोड़ा बाहर निकल प्रखंड स्तर पर जनता की फ़रियाद सुन रहे हैं ताकि ये
पीड़ित ‘हुजूर’ के पास कोई बड़ी समस्या लेकर गुहार
न लगा दें और.....???
...ताकि हुजूर के पास न पहुंचे फरियादी
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 05, 2012
Rating:
![...ताकि हुजूर के पास न पहुंचे फरियादी](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjW8A5ww9HUNyO_ZgenUnvfRyqn98gObGHNlUbD771mJrDl3N05zDSb-n-qz58eqi8hoKYaOQVaQYlEPjwpGalyL1PIIfRECqqYOkL54ka3YHM1eyDOkWPVDHDKYVbjDNF_llpLp0qpvAc/s72-c/11cm2.jpg)
No comments: