नियोजन मेला से ठगी के हुए शिकार: ठगों की तस्वीर जारी

यही हैं कंपनी के लोग
राकेश सिंह/26 जुलाई 2012
जिले समेत पूरे बिहार में नियोजन मेला लगता तो बड़ी जोर-शोर से, पर इनमें आई कई कम्पनियाँ लूट कर चली जाती हैं वैसे बेरोजगारों को जो पहले से ही आर्थिक रूप से कमजोर हैं.साथ ही ये बेवकूफ बना जाती हैं डीएम और कई मंत्रियों को भी.
कॉल लेटर दिखलाते छात्र
    मधेपुरा के कई बेरोजगार भी आ गए इनके नौकरी देने के झांसे में और लुटा गए हजारों की राशि.दरअसल इसमें इनका दोष जरा सा भी नहीं है.जब ऐसी लुटेरी कंपनियों के साथ हमारी सरकार है तो फिर क्या कहा जा सकता है. ठगी के शिकार हुए छात्र बताते हैं कि फरवरी 2011 में जब नियोजन मेला बी.एन.मंडल स्टेडियम मधेपुरा में लगा तो इस मेले के उदघाटन समारोह में तत्कालीन जिलाधिकारी व राज्य के कई मंत्री भी मौजूद थे.इससे उनका विश्वास आई कंपनियों पर जम गया.एक कंपनी पर्ल विजन इन्फॉर्मेटिक्स प्रा.लि. पटना में उनलोगों ने आवेदन किया तो वहां से इन्हें नौकरी के लिए बुलावा आया.इसी 6 जून को उन्हें पटना में निर्धारित जगह लीलावती कॉम्प्लेक्स, बेउर जेल के पास बुलाया गया.वहां इंटरव्यू के दौरान इनसे कई नौकरियों के बारे में च्वाइस भी पूछे गए.कंपनी के लोगों ने इनका पदस्थापन घर के जिले में करने के नाम पर प्रत्येक से 11000/- रूपये जमा करवाए और फिर बुला डाला इसी 13 जुलाई को नियुक्ति पत्र के लिए.
    पर जब ये 13 जुलाई को वहां पहुंचे तो कंपनी गायब थी.कंपनी के दफ्तर पर पहले ही ठगी के शिकार हुए छात्रों ने तोड़-फोड़ कर दी थी.वहाँ पता चला कि इस फर्जी कंपनी ने करोड़ों के न्यारे-वारे कर लिए हैं और भाग गए. हताश होकर ठगे गए ये छात्र वापस आ गए.अब ये मुकदमा दायर करने की तैयारी कर रहे हैं.
   पीड़ित छात्र विकी विनायक साफ कहते हैं कि यदि इन कंपनियों के द्वारा ठगी को अंजाम दिया गया तो जिला प्रशासन और राज्य सरकार पूरी तरह दोषी हैं.आखिर उन्होंने किस बिना पर ऐसी कंपनी को मेले में आने का न्यौता दे डाला.मधेपुरा से ठगे गए छात्रों की फेहरिस्त काफी लंबी है.सुनीत कुमार, आलोक कुमार, रूपक कुमार, अक्षय कुमार, सुमित कुमार और न जाने कितने ऐसे बेरोजगार हैं जिन्होंने प्रशासन और सरकार के सहयोग से चल रही ऐसी कंपनियों में आवेदन दिया और उस राशि को गँवा बैठे जिससे वे कोई और धंधा-पानी कर सकते थे.
  इसके बाद भी अगर जिला प्रशासन और सरकार उन्हें बेवकूफ बना चुकी कंपनियों के लोगों को नहीं पकड़ पाती है तो शक की सूई इनकी ओर भी जाती है कि या तो किसी न किसी तरह ये भी ऐसे गोरखधंधों को शह दे रहे हैं या इन्हें असली-नकली कंपनी का भेद पता नहीं है या फिर बेरोजगारों के दर्द से इनका कोई वास्ता नहीं.
   मधेपुरा टाइम्स को इन्हीं छात्रों द्वारा मोबाइल से खींची तस्वीर उपलब्ध कराई गयी है.यदि हमारे निर्भीक पाठकों को कहीं ये ठग दिखाई देते हैं तो फ़ौरन हमे सूचित करे.
नियोजन मेला से ठगी के हुए शिकार: ठगों की तस्वीर जारी नियोजन मेला से ठगी के हुए शिकार: ठगों की तस्वीर जारी Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on July 26, 2012 Rating: 5

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