रूद्र ना० यादव/30 जुलाई 2012
मधेपुरा गोशाला की नई समिति का गठन हो गया है और
इसके साथ ही शुरू होता है लूट-पाट का नया अध्याय.मालूम हो कि एसडीओ इस गोशाला
समिति के अध्यक्ष होते हैं.यहाँ गोशाला विकास के लिए समितियां बनती हैं और बनते
हैं गाय के चारा के लिए स्वेच्छा दान समिति.समिति के सदस्यों में से अधिकाँश को
इसके कार्यों की भली-भांति जानकारी भी नहीं होती है.बस इसके सदस्य बनने के लिए
पैरवी और चमचागिरी की योग्यता आपके साथ होनी चाहिए और साथ में इस बात का उत्साह भी
होना चाहिए कि यदि समिति के द्वारा हिसाब गलत-सलत दिखा कर बड़ी लूट को अंजाम दिया
जाता है तो उसके छोटे टुकड़े अदना सदस्य की तरफ भी फेंके जायेंगे.
हैरत की
बात तो ये है कि गोशाला की सैंकडों बीघा जमीन जिले के कई जगहों पर अतिक्रमण का
शिकार बनी हुई हैं.
मिली जानकारी
के अनुसार मधेपुरा गोशाला समिति के पास लिखित में तो २८७ बीघा जमीन है,जिसमे से प्रमुख रूप से ६७ बीघा मधेपुरा
के बालम में, ८७ बीघा बुधमा में, १२.५ बीघा मधेपुरा जिला मुख्यालय में
तथा सुपौल के जदिया में ४७ बीघा, गनपतगंज
में एक बीघा, बसंतपुर में २१ बीघा जमीन
है.बताया जाता है कि देखरेख का अभाव तथा प्रशासनिक लापरवाही के कारण मधेपुरा जिला
मुख्यालय तथा बालम की जमीन छोड़कर बाक़ी सारी जमीनों पर दबंगों ने कब्ज़ा कर लिया
है.वर्तमान स्थिति तो इतनी बुरी है कि इन अतिक्रमित जमीनों की सीमाओं को ठीक से
पहचान करने वाला कोई नहीं है.बताया जाता कि कई जगह इन अतिक्रमित जमीनों को
दबंगों के द्वारा बेचा भी जा रहा है और समिति के सदस्य ‘टक-टक’ मुंह देख
रहे हैं.ऐसे में बहुत से लोगों का ये कहना कि गोशाला की सम्पति को बेच खाने में
इनके सदस्य भी शामिल हैं, को बल मिलता है.
मालूम को कि गोशाला समिति के अध्यक्ष
मधेपुरा के सदर एसडीओ हैं और अतिक्रमण हटाने के अधिकारी भी एसडीओ ही होते हैं.ऐसे
में इन जमीनों का अतिक्रमण होना प्रशासनिक विफलता को दर्शाता है.पर इस
कथित ‘लूट-पाट’ समिति के सदस्यों को इससे कोई लेना देना
नहीं है.उन्हें तो बस मधेपुरा में बैठकर यहाँ का हिसाब-झाड़ी करना है और करते वक्त
उस हिसाब-झाड़ी को लपलपाते हुए जीभ से देखना है.यहाँ ये बात लागू होती दीख पड़ती है
कि-“गाय हमारी माता है, हमको कुछ नहीं आता है.”
गोशाला की इतनी जमीन और करोड़ों की संपत्ति में 2011-12 वित्तीय वर्ष में 17
लाख 66 हजार 538 रूपये आमदनी और 17 लाख 50 हजार 167 रू० खर्च दिखाना यानी सिर्फ 16
हजार रूपये बचत दिखाना गले नही उतरती है.जरा आप भी सोचिये.....
गोशाला की ‘खाओ-पकाओ’ समिति का हुआ गठन
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 30, 2012
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