सफल प्रेम-विवाह के 15 वर्ष: जोड़ी नं.1, अनंत-प्रतिमा

राकेश सिंह/28 जून 2012
कहते हैं शादियाँ स्वर्ग में तय होती है.शादी या नर-नारी का साथ रहना सृष्टि की जरूरत है.सदियों पहले शादी के कई प्रकार हुआ करते थे,पर युग बदला और अभी सामान्यत: शादी के दो ही प्रकार ज्यादातर प्रचलित हैं. लव मैरेज और अरेंज मैरेज.बेहतर कौन ये आज बहस का विषय बन चुका है.और इस बहस से दूर भागने वाले कुछ लड़कों और लड़कियों ने तो अब साथ रहने के एक नए ढंग की शुरुआत कर दी है-लिव इन रिलेशनशिप, यानी बिना शादी के ही पति-पत्नी की तरह साथ रहना.पर ये नई विधा सिर्फ महानगरों तक ही सीमित है.
   मधेपुरा जैसे समाज में कुछ वर्षों पहले तक प्रेम विवाह करने वालों को समाज अछूत की तरह देखता था.पर अब इस समाज के भी युवक-युवतियों ने समाज की पुरानी मान्यताओं को ठेंगा दिखा दिया है और प्रेम विवाह का प्रचलन तेजी से बढ़ चुका है.मधेपुरा जैसे समाज में एक दशक पूर्व यदि कोई प्रेम विवाह की जुर्रत करता था तो उसे अभिभावकों का कोप-भाजन बनना पड़ता था.मगरमच्छ जैसे समाज के मजबूत जबड़े ने कई प्रेम विवाह करने वालों को चबा कर पस्त कर दिया,पर अभी भी जिले में प्रेम विवाह करने वाली कई जोडियाँ हैं जिन्होंने अपने संघर्ष के बल पर समाज को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया और ये दिखा दिया कि प्यार झुकता नहीं.
   मधेपुरा में ऐसी ही एक जोड़ी अनंत और प्रतिमा की है.एक एसडीओ की बेटी को जब एक मामूली परिवार के मैकेनिक से प्यार हुआ तो दुनियां और परिवार वालों की नज़रों में ये प्यार तो खटकना था ही.ये 1994 का साल था जब मधेपुरा के लघु सिंचाई विभाग के एसडीओ रामानंद ठाकुर थे. अठारहवें साल में प्रवेश कर चुकी बेटी प्रतिमा कब उनके यहाँ बिजली के काम से जाने वाले वार्ड नं.18, विद्यापुरी के 19 वर्षीय मृदुभाषी और मिहनती अनंत कुमार सिंह को दिल दे बैठी पता ही न चला.तीन साल के प्यार के बाद जब दोनों ने शादी का फैसला किया तो परिवार में मानो हंगामा खड़ा हो गया.एक मामूली मैकेनिक से शादी की बात एसडीओ रामानंद ठाकुर को गंवारा न हुआ तो खुद भी मैकेनिक रहे अनंत के पिता दिनेश प्रसाद सिंह को भी बेटे का इस तरह विवाह की जिद करना प्रतिष्ठा के खिलाफ लगा.पर अनंत और प्रतिमा ने भी एक-दूसरे का साथ न छोड़ने की कसम खा रखी थी.अंत में दोनों ने 25 अप्रैल 1997 को देवघर में जाकर शादी कर ली.हालांकि इस मौके पर अनन्त के फैसले को आखिर समर्थन देने अनंत के पिता और बहनोई भी भारी मन से उपस्थित हो चुके थे.
   मधेपुरा टाइम्स के कार्यालय में अनंत और प्रतिमा ने अपने प्रेम विवाह के संघर्ष पर विस्तार से बातें की.अनंत को जहाँ इस बात का विश्वास था कि वह मिहनत से पैसे का अर्जन कर प्रतिमा को खुश रख सकेगा वहीं प्रतिमा को इस बात का संतोष था कि भले वह अपने से कम आर्थिक स्थिति वाले परिवार में जा रही है,पर उसके साथ मनचाहा जीवन साथी तो है जो उसे हर हाल में सुखी रखेगा.विवाह के बाद कठिनाइयों का दौर जब शुरू हुआ तो कई बार अनंत और प्रतिमा को अपने फैसले पर पछतावा भी हुआ,पर एक दूसरे का साथ न छोड़ने का कसम खा चुके अनंत-प्रतिमा संघर्ष के पथ पर आगे बढते गए.आज अनंत का जहाँ इलेक्ट्रिकल्स और जनरेटर से सम्बंधित व्यवसाय आगे बढ़ चुका है, वहीं प्रतिमा भी शिक्षिका बन चुकी है.एकलौती चार वर्षीया बेटी सुमेधा के साथ अनंत और प्रतिमा प्यार और विश्वास की डोर थामे जिंदगी की हर मुश्किलों को आसान समझती हैं, क्योंकि दोनों साथ-साथ हैं.
सफल प्रेम-विवाह के 15 वर्ष: जोड़ी नं.1, अनंत-प्रतिमा सफल प्रेम-विवाह के 15 वर्ष: जोड़ी नं.1, अनंत-प्रतिमा Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on June 28, 2012 Rating: 5

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