महिलाओं के पीठ दिखाने के मायने:आप बोले तो...

पीठ दिखाना मुहावरे का अर्थ होता है कायरता पूर्ण प्रदर्शन या मैदान छोड़ कर भाग जाना.पर फैशन के बदलते दौर में अब महिलाएं बोल्ड और ब्यूटीफुल दिखने के लिए बहुत कुछ करने को तैयार हैं.महिलाओं की साड़ियों के डिजायन तो बदल ही रहे हैं,फैशन के दौर में ब्लाउज ने भी अपने आकार और प्रकार में काफी बदलाव लाने के प्रयास किये है.लड़कियों द्वारा पहने जाने वाले सूट या अन्य ड्रेस के डिजायनों ने भी राह चलते आँखों को ठहर जाने को मजबूर किया है.पटना, दिल्ली और मुम्बई की बात तो छोड़िये, मधेपुरा जैसे कस्बाई शहरों में भी फैशन ने अपने नए रूप दिखाकर लोगों को आकर्षित किया है.खास कर साड़ी समेत अन्य कपड़ों में अब पीठ के अधिकाँश भाग को खुला रखने की परंपरा सामान्य सी बात होती जा रही है.पर ये मधेपुरा है.यदि आप किसी महिला को बहुत ज्यादा कटे हुए ब्लाउज पहने सड़क पर देखते हैं तो एक बार नजर घुमाकर अगल-बगल के लोगों को तो देखिये.टकटकी बाँध कर इन्हें देखते कई मर्दों के मुंह खुले रह जाते हैं.इनका कहना है ये दिखाने के लिए ही तो निकली है,फिर देखने में क्या हर्ज है? आखिर क्या सोचती हैं महिलाएं पीठ के प्रदर्शन के पीछे? इसपर जब हमने कुछ महिलाओं से बात करनी चाही तो कहा फैशन है, हम करते हैं,आपलोग नीयत ठीक रखिये.कारण जब पूरी तरह समझ में नहीं आया तो हमने अपने पाठकों से ही पूछ डाला.
                विजय प्रभात का कहना है आज की महिलायें कैसे अधिक से अधिक सेक्सी दिखे,इसके लिए ऐसा करती हैं. राजू राजा खुद प्रश्न करते हैं कि आखिर महिलायें अंग प्रदर्शन करती क्यों है?सेक्सी दिखने के लिए या मर्दों को रिझाने के लिए? संजय संजू कहते हैं, अंगप्रदर्शन आजकल फैशन हो गया है,अब तो औरतों की तुलना में मर्द ही ज्यादा कपड़े पहनते हैं. सोनू कुमार सोनी का मानना है कि इसी वजह से देश में हिंसा बढ़ रही है. आलोक कुमार एक कदम आगे कहते हैं, जितना दिखेगा, उतना बिकेगा, ते पब्लिक डिमांड है बॉस..कन्हैया अग्रवाल बढ़ती महंगाई को इसका कारण मानते है,कहते हैं, महाबचत ! कम कपड़े में ब्लाउज बनाना.सुरेश वर्मा कहते हैं, महिलाओं की मंशा है सुन्दर और सेक्सी दिखना. गौतम कुमार सोना का मानना है कि रिजर्वेशन मिला है उसी का फायदा उठा रही हैं. विस्मित आनंद कटाक्ष करते है कि लड़कियां करे तो फैशन है और लड़के करे तो कैरेक्टर ढीला माना जाता है.शिव प्रकाश इसे अध्यात्म से जोड़ते हैं, कहते हैं, मनुष्य जब पृथ्वी पर नंगा ही आता है और नंगा ही जाता है तो धरती पर नंगे रहने में क्या हर्ज है?अच्छा है ये शुरुआत महिलायें कर रही हैं वहीं मधुबाला कहती हैं कि फैशन कुरूपता का एक रूप है और इतना असहनीय है कि ये छ: महीने में ही बदल जाता है. महेंद्र मिस्त्री प्रश्न पूछते हैं, महंगाई के जमाने में महिलायें बचत का अच्छा उदहारण बताना चाहती हैं क्या? वहीं अभिषेक आर्या का मानना है कि ये इस बात की प्रतीक हैं कि भारत सही में इतना गरीब है कि यहाँ तन ढंकने के लिए भी कपड़े नहीं हैं.
  इस पूरे प्रकरण पर राहुल श्रीवास्तव का कहना है कि ये क्या मजाक है, मधेपुरा टाइम्स के पास कुछ ढंग का नहीं है क्या?एक पाठक मनीष सिंह जब पूछते है कि क्या ये टॉपिक डिस्कशन के लायक है? तो संजय संजू कहते हैं...यस.
(मधेपुरा टाइम्स ब्यूरो)
महिलाओं के पीठ दिखाने के मायने:आप बोले तो... महिलाओं के पीठ दिखाने के मायने:आप बोले तो... Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on November 17, 2011 Rating: 5

1 comment:

  1. Definitely, they r becoming more bold and beautiful.. Time and Talent can change anything...

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