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विजय प्रभात का कहना है “आज की महिलायें कैसे अधिक से अधिक सेक्सी दिखे,इसके लिए ऐसा करती हैं.” राजू राजा खुद प्रश्न करते हैं कि “आखिर महिलायें अंग प्रदर्शन करती क्यों है?सेक्सी दिखने के लिए या मर्दों को रिझाने के लिए?” संजय संजू कहते हैं, “अंगप्रदर्शन आजकल फैशन हो गया है,अब तो औरतों की तुलना में मर्द ही ज्यादा कपड़े पहनते हैं.” सोनू कुमार सोनी का मानना है कि इसी वजह से देश में हिंसा बढ़ रही है. आलोक कुमार एक कदम आगे कहते हैं, “जितना दिखेगा, उतना बिकेगा, ते पब्लिक डिमांड है बॉस..”कन्हैया अग्रवाल बढ़ती महंगाई को इसका कारण मानते है,कहते हैं, “महाबचत ! कम कपड़े में ब्लाउज बनाना”.सुरेश वर्मा कहते हैं, “महिलाओं की मंशा है सुन्दर और सेक्सी दिखना”. गौतम कुमार सोना का मानना है कि रिजर्वेशन मिला है उसी का फायदा उठा रही हैं. विस्मित आनंद कटाक्ष करते है कि लड़कियां करे तो फैशन है और लड़के करे तो कैरेक्टर ढीला माना जाता है.शिव प्रकाश इसे अध्यात्म से जोड़ते हैं, कहते हैं, “मनुष्य जब पृथ्वी पर नंगा ही
आता है और नंगा ही जाता है तो धरती पर नंगे रहने में क्या हर्ज है?अच्छा है ये शुरुआत महिलायें कर रही हैं” वहीं मधुबाला कहती हैं कि फैशन कुरूपता का एक रूप है और इतना असहनीय है कि ये छ: महीने में ही बदल जाता है. महेंद्र मिस्त्री प्रश्न पूछते हैं, “महंगाई के जमाने में महिलायें बचत का अच्छा उदहारण बताना चाहती हैं क्या?” वहीं अभिषेक आर्या का मानना है कि ये इस बात की प्रतीक हैं कि भारत सही में इतना गरीब है कि यहाँ तन ढंकने के लिए भी कपड़े नहीं हैं.
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इस पूरे प्रकरण पर राहुल श्रीवास्तव का कहना है कि ये क्या मजाक है, मधेपुरा टाइम्स के पास कुछ ढंग का नहीं है क्या?एक पाठक मनीष सिंह जब पूछते है कि क्या ये टॉपिक डिस्कशन के लायक है? तो संजय संजू कहते हैं...यस.
(मधेपुरा टाइम्स ब्यूरो)
महिलाओं के पीठ दिखाने के मायने:आप बोले तो...
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 17, 2011
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Definitely, they r becoming more bold and beautiful.. Time and Talent can change anything...
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