और दिल्ली के सैकड़ों युवक युवतियों ने दिल्ली में स्लटवाक यानी बेशर्मी मोर्चा निकाल ही लिया.इस दौरान लड़के-लड़कियों ने हाथों में विभिन्न प्रकार तख्तियों जिसपर अनेक प्रकार के स्लोगन लिखे थे,ले रखा था.इस बेशर्मी मोर्चा के आयोजकों का कहना है कि ये मोर्चा उस मानसिकता के खिलाफ जंग है जो समझते हैं कि लड़कियां अगर मॉडर्न या छोटे कपडे पहन कर निकलती है तो वे छेड़खानी को आमंत्रण दे रही हैं.छेड़खानी के शिकार पर ही आरोप लगाने के खिलाफ यह लड़ाई है.
क्या है स्लटवाक: इस नाम से सबसे पहले विरोध प्रदर्शन टोरंटो,कनाडा में हुए थे.इस आंदोलन की शुरुआत टोरंटो पुलिस के अधिकारी माइकल सैंगुनिटी के उस बयां के बाद हुई जिसमे उन्होंने कहा था कि महिलाओं को यौन अपराध से बचने के लिए चाहिए कि वे स्लट (वेश्या या चरित्रहीन) की तरह कपड़े न पहनें.
इन आन्दोलनों से ये बात तो सामने आती है कि पुरुषों को अपनी सोच बदलनी होगी.पर इस मामले पर सभी लोगों की राय अलग-अलग हो सकती है.सबसे बड़ा सवाल यह है कि महिलायें भडकाऊ कपड़े किसे दिखने के लिए पहनती है?क्या ऐसे कपड़े बदन को आराम पहुंचाते है?कई बार तो राह ऐसा भी देखा गया है कि कई लड़कियां हल्की-फुल्की छेड़खानी के उद्येश्य से ही ऐसे कपड़े
पहनती है,और वे थोड़ी छेड़खानी से आह्लादित भी होती हैं.कई बार तो ऐसा भी होता है कि कसी गयी फब्तियों पर वे मुस्कुरा कर नजरें भी मिलाती हैं,जो छेड़खानी को प्रोत्साहन देने के सामान प्रतीत होता है.पर यही छेड़खानी जब हद से ज्यादा बढ़ जाती है तो वे इसका विरोध करने लगती हैं.बातों की छेड़खानी तो बहुतों को अच्छी लगती है,पर जब यही शरीर के साथ होने लगता है तो फिर इनका विरोध होने लगता है.कुछ उदहारण ऐसे भी हो सकते हैं जब ऐसी ही छेड़खानी से लड़के-लड़की एक दूसरे के करीब भी आ जाते हैं.तो ये कैसे पता चले कि आप जो छोटे-छोटे कपड़े पहन कर बाहर निकली हैं,उनका उद्देश्य क्या है?बहुतों के मन में अब भी ये सवाल है कि इस तरह की फैशनपरस्ती जिसमे आपके छुपाने वाले अंगों का प्रदर्शन हो रहा हो,आखिर क्यूं?
इन आन्दोलनों से ये बात तो सामने आती है कि पुरुषों को अपनी सोच बदलनी होगी.पर इस मामले पर सभी लोगों की राय अलग-अलग हो सकती है.सबसे बड़ा सवाल यह है कि महिलायें भडकाऊ कपड़े किसे दिखने के लिए पहनती है?क्या ऐसे कपड़े बदन को आराम पहुंचाते है?कई बार तो राह ऐसा भी देखा गया है कि कई लड़कियां हल्की-फुल्की छेड़खानी के उद्येश्य से ही ऐसे कपड़े
पहनती है,और वे थोड़ी छेड़खानी से आह्लादित भी होती हैं.कई बार तो ऐसा भी होता है कि कसी गयी फब्तियों पर वे मुस्कुरा कर नजरें भी मिलाती हैं,जो छेड़खानी को प्रोत्साहन देने के सामान प्रतीत होता है.पर यही छेड़खानी जब हद से ज्यादा बढ़ जाती है तो वे इसका विरोध करने लगती हैं.बातों की छेड़खानी तो बहुतों को अच्छी लगती है,पर जब यही शरीर के साथ होने लगता है तो फिर इनका विरोध होने लगता है.कुछ उदहारण ऐसे भी हो सकते हैं जब ऐसी ही छेड़खानी से लड़के-लड़की एक दूसरे के करीब भी आ जाते हैं.तो ये कैसे पता चले कि आप जो छोटे-छोटे कपड़े पहन कर बाहर निकली हैं,उनका उद्देश्य क्या है?बहुतों के मन में अब भी ये सवाल है कि इस तरह की फैशनपरस्ती जिसमे आपके छुपाने वाले अंगों का प्रदर्शन हो रहा हो,आखिर क्यूं?
शायद आवश्यकता है दोनों को मानसिकता बदलने की,वर्ना छोटे-अधूरे-भडकाऊ कपड़े पहनने पर शायद ही भारत जैसे देश में छेड़खानी पर विराम लग सके.
(मधेपुरा टाइम्स ब्यूरो)
सोच बदल,कपडे नहीं: बेशर्मी मोर्चा से उपजे सवाल
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 04, 2011
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it will take years to change mindset in india... I was in japan for 3 months and there girls wear shortest skirt i have ever seen but no one stares on them. Here if one girl come to some compartment of train everyone starts looking at her.. so the question is not of cloths its mentality which has to be changed.
ReplyDeleteशायद अमित जी का कहना कुछ हद तक सच हो परन्तु ये भी सच मानना होगा की जापान और भारत दो अलग -अलग देश हैं एवं दोनों की अलग -अलग संस्कृति है /चीन, जापान ,नेपाल ,ब्रिटेन ये हमारी संस्कृति का मुकाबला कभी नहीं कर सकते /हमारे देश में सीता ,सावित्री ,अनुसुइआ आदि स्त्रियों का जन्म हुआ जिन्होंने स्त्री जाति की पवित्रता को और भी पवित्र किया है इनकी तुलना में विदेशों में महान आइटम गर्ल का प्रादुर्भाव हुआ ,वे कभी भारत की नारियों की बराबरी नहीं कर सकते / हुआ ये है की हमारे देश की कुछ नारियों ने विदेशो का नक़ल कर लिया है जिससे हमारी संस्कृति दूषित होने लगी है /परिणाम स्वरुप भारत की नारियो का सम्मान घटता जा रहा है / महिलाएं हमारी प्रतिष्ठा हैं /जरुरत है कि महिलाओं को पहले अपने लाज और सम्मान की रक्षा के लिए सोचना होगा / छोटे और भर्काऊ कपडे उनका मान बढ़ाने की वजाय घटा रहे है /
ReplyDeleteall crap...what do we think that girls wearing full cloths doesn't have to face the embarrassment of eve teasing?? It has to do nothing with cloths. People with that mentality will do eve teasing even if girl is wearing full cloths. and people of strong mentality has nothing to do with weather a girl is putting on short cloths or putting on full cloths..So again mentality is the thing which has to be changed...I have been in so many parties in india itself where girls/ladies come with very short cloths..but those parties are full of descent people of strong mentality..so there is no question of eve teasing...SO CHANGE MENTALITY NOT THE CLOTHS..
ReplyDeleteDear akb5160 ,you are absolutely wrong .You wrote,you have attend so many parties in which girls and ladies are present in very short cloths and those parties are full of descent people of strong mentality... here you should write "girls and ladies were present in very short and sexy cloths and all the people of strong mentality were watching the figure and size of the girls and ladies and giving more and more nutrition to their eyes ."It is called M.D(maal darshan)
ReplyDeleteMentality means mental status .How you can change it ?You can suppress its reaction only for few times .Your mind is a manager of your sense organs.If you cant get reaction after seeing a nude young girl it means --you have a dead mind .Now you can assess your mental status or mentality.
ReplyDeleteअगर आप ठंढ और गर्मी का अनुभव कर सकने में सक्षम हैं ,अगर आपको सुहाना मौसम और जेठ की चिलचिलाती धुप में अंतर समझ सकने की छमता है ,अगर आपके मस्तिष्क में सोचने विचारने की ताकत है ,तो निश्चय ही आप कपडे पहने और नंगी लड़की में फर्क महसूस कर सकते हैं /सोच ,इन्सान के जीवित होने की पहचान है /अगर किसी अर्ध नग्न नारी को देख कर ,अगर किसी भिखारी को देखकर ,किसी असहाय को देख कर ,आपके दिमाग में सुगबुगाहट नहीं हो रही हो तो समझ लो आप एक जिन्दा लाश हो /
ReplyDeletedear shivprakash......there's lots of difference between watching beauty and making fun of that by giving shitty comments and embarrassing that beauty.........here ur word M.D. itself is a shitty comment..how can a responsible man use these kind of crap word..MD..It is very depressing..
ReplyDeleteI second akb5160 and request shivprakash to avoid using such language in any forum. Your language itself supports our views. How can you call a girl Maal aur something like that. I will give you one more example dear shiv. You come to Mumbai where girls wear ultra modern clothes but here eve teasing is not at all but you go to delhi and see the condition. How everyone behaves there with girls.So I will again say its our mentality which has to change.
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