रूद्र ना० यादव/२९ जुलाई २०११
चूहों के बढते प्रकोप से जिले के किसान त्रस्त हैं.पहले चूहों की संख्यां जहाँ नियंत्रित थी, वहीं अब इसकी संख्यां में बहुत ही इजाफा हो चुका है.दरअसल वर्ष २००८ के बढ़ के बाद क्षेत्र में सांपो की कई प्रजातियों,जो चूहे खाकर इसकी संख्यां को नियंत्रित रखते थे,की संख्यां में कमी हो गयी और इसी वजह से इलाके में चूहों की संख्यां बेहिसाब बढ़ गयी.और ये चूहे अब फसलों को बड़ी मात्रा में बर्बाद कर देते हैं. क्षेत्र के किसानों ने जब चूहों से त्रस्त होकर बिहार सरकार तक इस सम्बन्ध में
सन्देश भिजवाया तो बिहार सरकार ने भारत सरकार से इससे सम्बंधित विशेषज्ञों की टीम भेजने का अनुरोध किया.टीम ने ग्वालपाड़ा जाकर पीड़ित किसानों से मुलाकात की तथा खेतों का भी जायजा लिया फिर उन्होंने चूहे बढ़ने के कारणों का खुलासा किया.हैदराबाद के विशेषज्ञ डा० एम.के.राव ने बताया कि सामूहिक प्रयास से इसे दो-तीन वर्षों में नियंत्रित किया जा सकेगा.उन्होंने यह भी बताया कि चूहों के कारण रेलवे को प्रति वर्ष अरबों रूपये का घाटा उठाना पड़ता है.जो भी हो,सरकार का इस समस्या पर पहल करना निश्चित रूप से सराहनीय कदम है, और आशा है कि किसान जल्द ही इस समस्या से निजात पा सकेंगे.
सन्देश भिजवाया तो बिहार सरकार ने भारत सरकार से इससे सम्बंधित विशेषज्ञों की टीम भेजने का अनुरोध किया.टीम ने ग्वालपाड़ा जाकर पीड़ित किसानों से मुलाकात की तथा खेतों का भी जायजा लिया फिर उन्होंने चूहे बढ़ने के कारणों का खुलासा किया.हैदराबाद के विशेषज्ञ डा० एम.के.राव ने बताया कि सामूहिक प्रयास से इसे दो-तीन वर्षों में नियंत्रित किया जा सकेगा.उन्होंने यह भी बताया कि चूहों के कारण रेलवे को प्रति वर्ष अरबों रूपये का घाटा उठाना पड़ता है.जो भी हो,सरकार का इस समस्या पर पहल करना निश्चित रूप से सराहनीय कदम है, और आशा है कि किसान जल्द ही इस समस्या से निजात पा सकेंगे.
(सम्बंधित लेख पढ़ें:चूहों की दबंगई से किसान पस्त)
बढ़ा जिले में चूहों का उत्पात
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 29, 2011
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