चूहे की दबंगई से किसान पस्त

पंकज भारतीय/२० दिसंबर २०१०
चूहा  आया,चूहा आया,
चू-चू करता चूहा आया,
पूंछ हिलाता चूहा आया,
मूंछ हिलाता चूहा आया,
वह कितना फुर्तीला,
कोई उसको पकड़ न पाया.
बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा ने यह कविता भले ही बच्चों के लिए लिखी हो.लेकिन यह कविता इस बार कोशी के किसानों पर सटीक बैठती है.किसान परेशान हैं,क्योंकि वे चूहे को पकड़ नही पा रहे हैं.जानकारों के अनुसार चूहे पारिस्थितिक संतुलन के लिए आवश्यक हैं,लेकिन यहाँ चूहे विध्वंसक की भूमिका में नजर आने लगे हैं. मानसून की बेरुखी के बाद धान की फसल पर चूहों के हमले ने किसानों की उम्मीद को धाराशायी कर दिया है. चूहों का आतंक तो ऐसा रहा कि धान का पौधा तो खेत में खड़ा रहा,पर शीश गायब हो गए.खास बात ये है कि वैसे इलाकों में चूहे का प्रकोप अधिक देखा जा रहा है,जहाँ वर्ष २००८ में बाद आई थी.जानकारों का मानना
है कि सुखाड़ की वजह से चूहों की संख्यां में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है.बिहार में मुख्यत: वेन्डीकोटा बेगालेंसिस प्रजाति के चूहे मिलते है.कुछ लोगों का मानना है कि बिल्लियों की संख्यां में आई कमी भी चूहे की संख्यां में बढ़ोतरी की वजह है.कृषि विभाग के सूत्र बताते हैं कि चूहे की वजह से फसल उत्पादन में कण से कम २०% की कमी आने की सम्भावना है.इतना ही नही दबंग चूहों की नजर अब मक्के पर भी है.मक्के की बोआई शुरू होते ही अब चूहे मक्के के बीज पर ही टूट पड़े हैं.एक आंकड़े के अनुसार देश के अन्न उत्पादन का ३०% चूहों द्वारा ही हजम कर लिया जाता है.
भगवान गणेश की सवारी चूहा: हिन्दू धर्मावलम्बी चूहे को भगवान गणेश की सवारी मानते हैं. चूहा एक प्रतीक है जो बहुत गहरा है. जो बंधन बाँध कर रखते हैं, उसे चूहा कुतर-कुतर कर समाप्त कर देता है. चूहा उस मन्त्र की भांति है जो धीरे-धीरे अज्ञान की एक-एक परत को काटकर भेद देता है और उस परम ज्ञान की ओर ले जाता है जिसका प्रतिनिधित्व श्री गणेश करते हैं. लेकिन ज्ञान के वाहक मूषक इस बार कोशी के किसानों के लिए सिरदर्द साबित हो रहे हैं.
चूहे की अजीबोगरीब दुनिया:*चूहे की उम्र साढ़े  तीन वर्ष होती है.*वयस्क चूहे का वजन २५०-३०० ग्राम और लम्बाई १६-२१ सेमी होता है.*चुहिया जन्म के एक महीने के बाद ही बच्चा देना शुरू कर देती है.एक चुहिया साल में ३-६ बार तथा एक बार में ५-१० बच्चा देती है.*एक चुहिया एवं उसके बच्चों से साल में न्यूनतम ६२५ और अधिकतम १२५० बच्चे पैदा हो जाते हैं.*चूहे २४ में से १३ घंटे सोते हैं और रात में अधिकांश समय जागते हैं.*अँधेरे में चूहे को बखूबी दिखता है.*चूहे के दांत निरंतर बढते रहते हैं.दांत को छोटा रखने के लिए चूहे हमेशा कुछ न कुछ कुतरते रहते हैं.
चूहे की दबंगई से किसान पस्त चूहे की दबंगई से किसान पस्त Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on December 20, 2010 Rating: 5

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