आईआईटी के रिजल्ट्स सामने हैं.बिहार ने फिर इस कठिन परीक्षा में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है.अगर कोशी क्षेत्र की बात करें तो मधेपुरा छोड़कर सहरसा और सुपौल से भी कुछ नाम सफल छात्रों की सूची में आये हैं.
इस बार मधेपुरा इस क्षेत्र में काफी पिछड़ता हुआ नजर आया है जहाँ से शून्य सफलता मिली है.ऐसा बिलकुल नही है कि यहाँ के छात्रों का रुझान आईआईटी के प्रति कम हुआ है.मालूम हो कि मधेपुरा के हजारों छात्र देश के कोने-कोने में जाकर आईआईटी की कथित तैयारी कर रहे हैं.पर सफलता उनके हाथ से फिसलती
हुई लगती है. आखिर क्या कमियां रह जाती है इनकी तैयारी में? एक रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ कोटा में मधेपुरा के ३००० से अधिक छात्र रहकर आईआईटी की तैयारी कर रहे हैं.हैरत की बात तो ये भी
है कि इनमे से सैकड़ों छात्र मधेपुरा के विभिन्न महाविद्यालयों के व्याख्याताओं के पुत्र है.ऐसे में ये भी प्रश्न उठना लाजिमी है कि क्या ये छात्र सफलता के सूत्र से वाकिफ नही हैं? हाल की सफलताओं को देखते हुए एक बात तो तय है कि कोचिंग संस्थान की भूमिका संदेहास्पद होती जा रही है.इनके लिए ये व्यवसाय पहले है और शिक्षा बाद में, ये बात विभिन्न परीक्षाओं में सफल अधिकाँश टॉपर कह रहे हैं.कोटा के सैकड़ों संस्थान में पढ़े असफल छात्रों की स्थिति भी कुछ ऐसा ही बयां कर रही
है.सफल छात्र ये भी कह रहे हैं कि यदि लक्ष्य निर्धारित करो तो उस पर पूरी तरह केंद्रित हो जाओ.मधेपुरा के छात्रों की असफलता ये बताती है कि सफलता का प्रयास पूरे मन से नहीं हुआ.कोटा में रहने वाले छात्र भी दबी जुबान से स्वीकारते हैं कि मधेपुरा के अधिकांश छात्र वहां पढाई कम और मौज-मस्ती ज्यादा करने में विश्वास रखने लगे है.सुविधा के नाम पर छात्रों को बहकाने के लिए यहाँ इंटरनेट कैफे की भी भरमार है.बहुत से छात्र ‘बुक’ में कम और ‘फेसबुक’ में भविष्य को ज्यादा तलाशते दिखते हैं.
हुई लगती है. आखिर क्या कमियां रह जाती है इनकी तैयारी में? एक रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ कोटा में मधेपुरा के ३००० से अधिक छात्र रहकर आईआईटी की तैयारी कर रहे हैं.हैरत की बात तो ये भी
है कि इनमे से सैकड़ों छात्र मधेपुरा के विभिन्न महाविद्यालयों के व्याख्याताओं के पुत्र है.ऐसे में ये भी प्रश्न उठना लाजिमी है कि क्या ये छात्र सफलता के सूत्र से वाकिफ नही हैं? हाल की सफलताओं को देखते हुए एक बात तो तय है कि कोचिंग संस्थान की भूमिका संदेहास्पद होती जा रही है.इनके लिए ये व्यवसाय पहले है और शिक्षा बाद में, ये बात विभिन्न परीक्षाओं में सफल अधिकाँश टॉपर कह रहे हैं.कोटा के सैकड़ों संस्थान में पढ़े असफल छात्रों की स्थिति भी कुछ ऐसा ही बयां कर रही

दरअसल बच्चों में पढाई का जूनून घर से ही पैदा होता है.मधेपुरा की कॉलेज शिक्षा मजाक बन कर रह गयी है, ऐसा अधिकाँश लोग भी मानते है.मंडल विश्वविद्यालय के कुलपति तो यहाँ तक कह चुके हैं कि यदि कॉलेजों में शिक्षण का माहौल नही बनता है तो वे धरना भी देंगे.उनका मानना है कि अधिकाँश व्याख्याता सिर्फ उपस्थिति दर्ज कराने कॉलेज जाते है.सीधी सी बात है, जब आप मोटी तनख्वाह लेकर भी छात्रों को पढ़ाना नही चाहते हैं,तो छात्र के साथ आपके बच्चे भी पढ़ने
का संस्कार कहाँ से पायेंगे, चाहे आप उन्हें कोटा भेजें या लन्दन. हाँ, ये बात भी सच है कि पढाई से सरोकार रखने वाले कई शिक्षक पुत्र विभिन्न क्षेत्रों में सफलता का परचम लहर रहे हैं.

जिस तरह से मधेपुरा के छात्र इस बार आईआईटी में असफल रहे है, उससे यहाँ के सामाजिक सरोकार रखने वाले लोगों की चिंता बढ़ गयी है,जबकि बगल के सुपौल जिले से कुक और किसान के बेटों ने भी आईआईटी में सफलता पाकर जिले का नाम रौशन किया है.यहाँ आवश्यकता है छात्रों में घर से ही पढाई के प्रति जूनून पैदा करने की ताकि वे लक्ष्य के प्रति संवेदनशील रहकर अपना भविष्य संवार सके और जिले का नाम भी रौशन कर सकें.
(मधेपुरा टाइम्स ब्यूरो)
आईआईटी में क्यों पिछड़ गया मधेपुरा ?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
May 30, 2011
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all educated one shd come ahed to make whole kosi belt interested in studies and carrer
ReplyDeleteeVERY oNE iS nOT mADE fOR eNGINEERING bUT tHEY fORCED tO dO tHAT by tHEIR.....
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